तंत्र विज्ञान : काली हल्दी के सौभाग्यवर्धक प्रयोग
तंत्र विज्ञान में काली हल्दी बहुत अनमोल, अद्भुत और देवीय गुणों वाली मानी जाती है। हालांकि इसका रंग-रुप भद्दा और अनाकर्षक होता है, किंतु धन प्राप्ति की दृष्टि से बहुत प्रभावकारी मानी गई है।मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तंत्र शास्त्र में हरिद्रा तंत्र में चर्चा की गयी है । कहते हैं, इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य की वर्षा करती हैं ।
काली हल्दी खाने के काम में नहीं आती, पर चोट लगने और दूसरे औषधीय गुणों में इसे महत्व दिया जाता है । यदि किसी को इस काली हल्दी की गांठ प्राप्त हो, तो उसे पूजा घर में रख दें । मान्यता है कि यह जहां भी होती है, सहज ही वहां श्री-समृद्धि का आगमन होने लगता है । हरिद्रा तंत्र को नए कपड़े में अक्षत और चांदी के टुकड़े अथवा किसी सिक्के के साथ रखकर गांठ बांध दें । और धूप-दीप से पूजा करके गल्ले या बक्से में रख दें, तो आश्चर्यजनक आर्थिक लाभ होने लगता है । लेकिन इसको घर में रखने से पहले अभिमंत्रित भी कर लें, तभी इसका विशेष प्रभाव दिखता है ।
हरिद्रा तंत्र के लिए साधना विधि महीने की किसी भी अष्टमी से इस पूजा को शुरू कर सकते हैं । इस दिन प्रात: उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं । तत्पश्चात् काली हल्दी की गांठ को धूप-दीप देकर नमस्कार करें । फिर उगते हुए सूर्यको नमस्कार करें और 108 बार ‘‘ॐ ह्रीं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करे ।’
इसके बाद स्थापित काली हल्दी की पूजा करें । पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार करें । यथाशक्ति दान-पुण्य भी करें । हरिद्रा तंत्र की साधना में यह तथ्य स्मरण रखना चाहिए कि इसके साधक के लिए मूली, गाजर और जिमींकंद का प्रयोग वर्जित है । इस प्रयोग को विधिपूर्वक करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं । घर में बरकत होती है।
चंदन की भाँति काली हल्दी का तिलक लगाएँ । यदि अपनी कनिष्ठा उँगली का रक्त भी मिला दिया जाए तो प्रभाव में वृद्धि होगी । यह तिलक लगाने वाला सबका प्यारा होता है । सामने वाले को आकर्षित करता है।
काली हल्दी रोली तुलसी की मंजरी को समरूप आंवले के रस में पीस कर जिसके भी सअम्मुख जायेंगे वो स्वतः आपके अनुरूप कार्य करेगा।
काली हल्दी, श्वेतार्क मूल, श्वेत चन्दन, गोरोचन, पान और हरसिंगार की जड़ पीस कर एक चाँदी की डिब्बी में लेप बनाकर रख लें । जिसे वश में करना हो उसके सम्मुख आने से पूर्व इसका तिलक धारण कर लें । इस प्रकार कि तिलक लगाने के बाद आपको सर्व प्रथम देखे ।
धन प्राप्ति के लिए हल्दी की काली गांठ यानि हरिद्रा तंत्र की साधना शुक्ल या कृष्ण पक्ष की किसी भी अष्टमी से शुरु की जा सकती है । इसके लिए पूजा सूर्योदय के समय ही की जाती है।
यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो पहले गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उस में गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उवार कर गाय को खिला दें । यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है ।
यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में काली हल्दी को बांधकर 7 बार उपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें । इस से नजर से मुक्ति मिलेगी ।
शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से गुरू और शनी दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे । यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए ।
शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में काली हल्दी रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें । यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा ।
यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार “ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः ” का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है ।
यदि आपका व्यवसाय मशीनों से सम्बन्धित है, और आये दिन कोई मॅहगी मशीन आपकी खराब हो जाती है । तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें । यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी ।
दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है ।
यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीडि़त हो तो किसी अच्छे मूहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें । तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर धागे की मद्द से उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेंवन कराते रहें । इस से आप को अवश्य लाभ मिलेगा।
शुभ दिन में गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र हो । राहुकाल न हो, शुभ घड़ी में काली हल्दी को लाएँ । इसे शुद्ध जल से भीगे कपड़े से पोंछकर लोबान की धूप की धुनी में शुद्ध कर लें व कपड़े में लपेटकर रख दें । आवश्यकता होने पर इसका एक माशा चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन कराये व एक छोटा टुकड़ा काटकर धागे में पिरोकर रोगी के गले या भुजा में बाँध दें। इस प्रकार उन्माद, मिर्गी, भ्रांति और अनिन्द्रा जैसे मानसिक रोगों मे बहुत लाभ होता है।
गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर धूप आदि देकर कुछ सिक्कों के साथ बाँधकर बक्से या तिजोरी में रख दें तो धनवृद्धि होने लगती है।
काली हल्दी, श्वेतार्क मूल, रक्त चन्दन और हनुमान मंदिर या काली मंदिर में हुए हवन की विभूति गोमूत्र में मिलाकर लेप बनायें और उससे घर के मुख्या द्वार और सभी प्रवेश के दरवाजों के ऊपर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें । इससे किसी भी प्रकार की बुरी नज़र, टोना टोटका या बाधा आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे ।
जिस व्यक्ति को बुरी नजर लगी हो या बार बार लगती हो या अक्सर बीमार रहता हो तो काली हल्दी, श्वेतार्क मूल, रक्त चन्दन और हनुमान मंदिर या काली मंदिर में हुए हवन की विभूति गोमूत्र में मिलाकर मिश्रण का तिलक माथे कंठ व् ह्रदय पर करे तो सुरक्षित रहता है।