सप्तेश्वर महादेव मंदिर,उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के साबरमती नदी के तट पर स्थित है।इस प्राचीन मंदिर का इतिहास सप्तर्षियों से जुड़ा हुआ है, ऐसा माना जाता है कि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ सप्तर्षि ने यहां तपस्या की थी। सप्तेश्वर का इतिहास ३४०० सालों से पुराना है यहां प्राकृतिक शिव लिंग पर पानी की निरंतर धारा बहती रही है।
उत्तर गुजरात में साबरमती नदी पर सप्तनाथ (सप्तेश्वर) महादेव मंदिर स्थित है, जो देहराल और सबरमती नाम की दो नदियों का संगम स्टेशन है। हर दिन हजारों यात्रियों महादेव के दर्शन के लिए यहां आते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के साथ यहाँ का बहता पवित्र जल यहाँ की सुंदरता को दोगुना करता है। यहाँ सप्तनाथ महादेव का सिद्ध शिव लिंग स्थापित है। मान्यता है कि पौराणिक काल में सात महर्षियों ने इस स्थान पर तपस्या किया था और हजारों वर्षों से लोग इस शिवलिंग के दर्शन के लिए यहां आते हैं और भक्ति सानिध्य प्राप्त करते हैं। गुजरात सरकार के जांच में यह जगह त्रेतायुग से है और ज्योतिष से संबंधित है। सप्तेश्वर महादेव सात महर्षियों में कश्यप, वशिष्ठ, विश्वामित्र, भारद्वाज, अत्री, जमदग्नी व गौतम ऋषि का तपोभूमि है जिनके नाम रामायण, महाभारत व अन्य कई और हिंदू ग्रंथों से जुड़े हुए हैं।
हर हर महादेव