Tranding
Tuesday, December 3, 2024
#Hajaar_stambh_mandir, #Rudreshwara_Swamy_Temple, #Thousand_Pillar_Temple, #Thousand_Pillar_Temple_Warangal, #Trikutalayam, #त्रिकूटालयम, #रुद्रेश्वर_स्वामी_मन्दिर, #हजार_स्तम्भ_मन्दिर, #वारंगल,
देवालय / July 1, 2024

#ThousandPillarTemple: शिव, विष्णु और सूर्य को समर्पित हजार स्तम्भ मन्दिर ‘त्रिकुटालयम’

क्षिण भारत के मन्दिरों को भारतीय स्थाप्त्य कला के उत्कृष्ट प्रतीक माना जाता है। ऐसा ही एक मन्दिर तेलंगाना के वारंगल जिले में है। हालांकि इसका मूल नाम रुद्रेश्वर स्वामी मन्दिर है पर दुनिया इसे हजार स्तम्भ मन्दिर (Hajaar stambh mandir) के नाम से जानती है। यह मन्दिर मुख्य रूप से तीन देवताओं भगवान विष्णु,  शिव और सूर्य को समर्पित है। यहां कई छोटे शिवलिंग भी हैं। तीन देवताओं की मौजूदगी की वजह से इसे “त्रिकूटालयम” के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण काकतीय राजवंश के राजा रुद्रदेव के आदेशानुसार 1175–1324 ईसवी में किया गया था। (Thousand Pillar Temple: Trikutalayam dedicated to three deities)

हजार स्तम्भ मन्दिर

यह मन्दिर हनामकोण्डा पहाड़ी की ढलानों पर स्थित है। इसकी संरचना तारे के आकार की है। इस पर काकातीय के साथ ही चालुक्य वास्तुकला का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है जबकि नींव सैण्डबॉक्स तकनीक से डाली गयी है। इसके स्तम्भों में मुख्य रूप से हाथियों की मूर्तियां उकेरी गयी हैं। द्वार के सामने नन्दी की छह फीट ऊंची प्रतिमा है। यूनेस्को ने इस मन्दिर को शीर्ष विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया है।

हजार स्तम्भ मन्दिर का एक सुन्दर स्तम्भ

दक्खन में आक्रमणों के दौरान तुगलक बादशाहों की सेनाओं ने इस मन्दिर को भारी क्षति पहुंचाई थी। हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान ने इसके पुनर्निर्माण के लिए एक लाख रुपये प्रदान किए थे। भारत सरकार ने वर्ष 2004 में इसका पुनर्निर्माण कराया।

अक्टूबर से मार्च के बीच हजार स्तम्भ मन्दिर (Hajaar stambh mandir) व आसपास के क्षेत्रों में तापमान 13 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। यह यहां घूमने का सबसे अच्छा समय है। यह तेलंगाना के सबसे अधिक देखे जाने वाले मन्दिर में से एक है जहां सामान्य दिनों में भी रोजाना एक हजार से भी अधिक श्रद्धालु आते हैं। दर्शन का समय सुबह छह से रात आठ बजे के बीच है।

मन्दिर में होने वाले उत्सव

हजार स्तम्भ मन्दिर में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों में महाशिवरात्रि, कुम्कुमा पूजा, बोनालू महोत्सव, कार्तिक पूर्णिमा, उगादि, नागुला चैवती, गणेश चतुर्थी और बथुकम्मा महोत्सव शामिल हैं। यहां प्रत्येक दो वर्ष में सरलाम्मा यात्रा या समका नामक एक मेले का आयोजन किया जाता है।

आसपास के दर्शनीय स्थल 

वारंगल किला, भद्रकाली मन्दिर, रायपार्थी शिव मन्दिर, इनावोलु मल्लन्ना मन्दिर, रामप्पा मन्दिर, पद्माक्षी मन्दिर, सिद्धेश्वरा मन्दिर, श्री वीरनारायण मन्दिर, इस्कॉन मन्दिर, श्री विद्या सरस्वती शनि मन्दिर, कुलपाकजी जैन मन्दिर, काकतीय रॉक गार्डन, काकतीय संगीत उद्यान,  मिनी चिड़ियाघर, गोविन्दराजुला गुट्टा, पाखल झील, इटर्नगरम वन्यजीव अभयारण्य, लकनावरम चेरुवु, मेदराम गांव।

ऐसे पहुंचें – How to reach #HajarStambhMandir

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा हैदराबाद का राजीव गांधी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट इस मन्दिर से करीब 173 किलोमीटर पड़ता है।

रेल मार्ग : काजीपेट जंक्शन से मन्दिर की दूरी करीब आठ किलोमीटर है। हैदराबाद, मुम्बई, पुणे, दिल्ली, लखनऊ आदि से यहां के लिए नियमित ट्रेन सेवा है।

सड़क मार्ग : काजीपेट यहां से करीब नौ, हैदराबाद 145 जबकि खम्मन 125 किलोमीटर दूर है।

1 comment

#VirupakshMandir: कुरूप आंखों वाले शिव का धाम 'विरूपाक्ष मन्दिर' July 2, 2024

[…] […]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!