#KheerBhawaniTemple: रंग बदलता है इस कुंड का जल तो कश्मीर में आती है विपत्ति! जानिए, खीर भवानी मंदिर का रहस्य
Desk@SanatanYatra.
Kheer Bhawani Mela 2024: कश्मीर घाटी के गांदरबल जिले में स्थित खीर भवानी मंदिर स्वयं में अत्यन्त रहस्यमयी है। यहां ज्येष्ठ की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को प्रति वर्ष मेला लगता है। कश्मीरी सनातनियों के लिए यह मंदिर और मेला अतिमहत्व का है। हजारों कश्मीरी सनातनी यहां प्रति वर्ष खीर भवानी मंदिर के मेले में आकर माता के दर्शन करते हैं।
इस वर्ष 14 जून अर्थात आज खीर भवानी महापर्व मनाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कश्मीरी हिन्दुओं को लेकर 200 से ज्यादा बसें खीर भवानी मंदिर पहुंची हैं। कश्मीर का यह खीर भवानी मंदिर बहुत प्रसिद्ध एवं चमत्कारिक है। इस मंदिर में बने कुंड की विशेषता है कि इस कुण्ड का जल रंग बदलता है। जब भी इस कुंड के जल का रंग परिवर्तित होता है तो कश्मीर में विपत्ति आती है। आइए जानते हैं खीर भवानी मंदिर के रहस्य और इतिहास।
झरने के मध्य स्थित है खीर भवानी मंदिर
ये देवी दुर्गा का मंदिर अर्थात खीर भवानी मंदिर एक मनमोहक झरने के बीच में स्थित है। खीर भवानी मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब लंकापति रावण ने माता सीता का हरण किया तब देवी रावण से रुष्ट हो गयीं। तब देवी ने क्रोधवश अपना स्थान त्याग दिया और कश्मीर के इस स्थान पर आकर विराजमान हो गयीं। इस मंदिर में देवी दुर्गा का प्रमुख खीर से लगाते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम खीर भवानी पड़ गया।
बात करें इस मन्दिर के निर्माण की तो खीर भवानी मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने वर्ष 1912 में करवाया था। बाद में महाराज हरि सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।
कश्मीरी हिंदू करते हैं रक्षा की प्रार्थना
कश्मीर का यह देवी धाम यहां के सनातनी हिंदुओं की आस्था की प्रमुख केन्द्र है। कहते हैं कि खीर भवानी कश्मीरी पंडितों की कुल देवी हैं। हर साल ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि को यहां पर एक भव्य मेला लगता है। कश्मीरी पंडितों समेत समस्त कश्मीरी हिन्दू अपनी रक्षा की प्रार्थना करने के लिए यहां आते हैं। साथ ही देवी को खीर का भोग लगाते हैं। खीर भवानी मंदिर को महारज्ञा देवी, राज्ञा देवी मंदिर, रजनी देवी मंदिर और राज्ञा भवानी मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता है।
कुंड का जल बदलता है रंग
गांदरबल स्थित इस खीर भवानी माता मंदिर में एक जलकुंड है। इस कुंड को चमत्कारी कुंड माना जाता है। बताते हैं कि जब भी कश्मीर में कोई बड़ी विपत्ति आने वाली होती है तब इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। यूं कहें खीर भवानी मन्दिर का यह कुण्ड आने वाली विपत्ति की चेतावनी देता।
रंग बदलने के उदाहरण
- जब 1947 में कश्मीर पर कबायली आक्रमण हुआ था, उस साल भी पवित्र झरने का जल काला हो गया था और कारगिल युद्ध के दौरान भी यह काला हो गया था.।
- 1990 में इस जल कुंड के जल का रंग काला पड़ गया था। इसी साल स्थानीय कश्मीरी पंडितों (हिन्दुओं) पर अत्याचार हुए और उन्हें घाटी छोड़कर जाना पड़ा था। कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्मों की दास्तां पूरे विश्व में कुख्यात है।
- इसी तरह जब साल 2014 में कश्मीर में भयानक बाढ़ आई थी तब इस जल कुंड का पानी पहले ही काला हो गया था।
- इसी तरह जब विश्व को कोरोना महामारी ने अपनी चपेट में लिया और लाखों मौतें हुईं तब इस कुंड के पानी का रंग लाल हो गया था।
- यदि कुंड का पानी हल्का नीला या सफेद रहे तो वह साथ खुशहाली में बीतता है। इस साल इस कुंड के पानी का रंग हल्का नीला है।