Tranding
Wednesday, November 13, 2024
Sarva Pitru Amavasya 2024

सर्व पितृ अमावस्या 2024 :मुहूर्त, पूजन विधि और सटीक उपाय

@sanatanyatra desk:आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को ही सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी का श्राद्ध भी किया जाता है जिनका श्राद्ध करना किसी कारण के छूट जाता है उन सभी का भी इस दिन श्राद्ध किया जा सकता है।कुलदेवी/देवता, और पितृ प्रसन्न हैं, मतलब आप उनके लिए अपने कुलपरंपरा के अनुसार कर्तव्य पूरे कर रहे हैं तो आपकी आधी से ज्यादा समस्या अपने आप ही आपको बिना आभास हुए ही खत्म हो जाती है।

देव पूजा तो भाव प्रधान कही गयी है पर पितृ पूजा को नियम अनुसार करने के लिए कहा जाता है , विशेषकर पितृपक्ष के 15 दिन।अमावस्या तिथि को विशेषकर तर्पण आदि करना चाहिए, जिनको तर्पण विधि नही पता वो ब्राह्मण को बुलाकर करें और सीखें।

सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने का समय-

सर्वपितृ अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 01 अक्टूबर 2024 को रात्रि 09.39 बजे से प्रारंभ।
सर्वपितृ अमावस्या तिथि समाप्त- 03 अक्टूबर 2024 को (रात्रि) 12.18 बजे समाप्त।

श्राद्ध करने का मुहूर्त
कुतुप मूहूर्त- 2 अक्टूबर 2024 को दोपहर 11.46 से 12.34 के बीच।
रोहिणी मूहूर्त- 2 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12.34 से 01.21 के बीच।
अपराह्न काल- 2 अक्टूबर 2024 को अपराह्न 01.21 से 03.43 के बीच।

सर्वपितृ अमावस्या 2024 : सटीक उपायों से पितरों को करें प्रसन्न-

सर्वपितृ अमावस्या पर करें पंचबलि कर्म-
सर्व पितृ श्राद्ध में पंचबलि अर्थात इस दिन गाय, कुत्ते, कौए, देव और अंत में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण या बटुकों हेतु भोजन परोसना चाहिए। साथ ही जमई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा देने से सभी तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या पर करें तर्पण और पिंडदान-
सर्वपितृ अवमावस्या पर तर्पण और पिंडदान का खासा महत्व है। उबले चावल में गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित करके जल में विसर्जित कर देते हैं। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण करते हैं। पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ऊँ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।’’

सर्पपितृ अमावस्या पर करें दान कर्म-
इस दिन गरीबों को यथाशक्ति दान देना चाहिए। जैसे छाता, जुते-चप्पल, पलंग, कंबल, सिरहाना, दर्पण, कंघा, टोपी, औषधि, धान्य, तिल, वस्त्र, स्वर्ण, घृत, लवण, गुड़, रजन, अन्न, दीप, धन दान आदि। इनमें से जो भी यथाशक्ति दान दे सकते हैं वे दें।

सर्पपितृ अमावस्या पर गुड़ घी की धूप-
16 दिनों तक लगातार सुबह और शाम घर में मध्यान्ह काल के समय एक कंडा यानी उपला जलाएं और उस पर गुड़ में घी मिलाकर उसकी धूप दें। उस कंडे पर घर पर बना भोजन की थोड़ा अग्नि को अर्पित करें। सभी के नाम की धूप दें। 16 दिन नहीं दे पाएं हैं तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन धूप दें।

अमावस्या को निकालने “सीधा” निकालने,करें पीपल पूजा –

पीपल के पेड़ की “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मन्त्र से 108 परिक्रमा करें, और भगवान विष्णु से पितृदोष के निवारण और पितरों के उद्धार के लिए प्रार्थना करें। वैसे तो हम अभी कहीं न कहीं गांवों से ही जुडे हैं , तो अगर आपको दादी नानी के संग रहने का सौभाग्य मिला है तो आपने देखा होगा कि पूर्णिमा और अमावस्या को “सीधा” निकालने की परंपरा थी। आटा, नमक, मिर्च, आलू, घी, गुड़/शक़्कर और पैसे निकाल कर इन दोनों दिन पाक्षिक दान निकाला जाता था।

कहने का तात्पर्य यह है कि संभव हो तो आज पितरों के निमित्त दान निकालें, पीपल पूजा करें, अगर आप पात्र हैं तो तर्पण करें न आता हो तो सीखें। और आगे आने वाली हर अमावस्या को ये नियम बना लें। वैसे तो ज्ञानी लोग अमावस्या को किसी का दिया भोजन नही करते, क्योंकि अमावस्या को पर अन्न खाने से, व्यक्ति के उस मास के सारे पुण्य अन्नदाता को प्राप्त हो जाते हैं। पर फिर भी अगर सम्भव हो पाए तो किसी एक ब्राह्मण को भोजन कराएं या नही तो उस परिवार को एक दिन, एक हफ्ता, या एक मास के भोजन की व्यवस्था योग्य राशि उपलब्ध कराएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!