@sanatanyatra प्रश्न- उत्तर _भाग्य किस बात निर्भर करता है..?
@sanatanyatra प्रश्न- उत्तर _भाग्य किस बात निर्भर करता है..?
उत्तर – आपके कर्मों पर l कर्म = भाग्य l इस जन्म के या पिछले जन्म के !?
पूर्व जन्म का कर्म, इस जन्म का प्रारब्ध l
अनंत जन्मों के कर्म का कुछ भाग आपके प्रारब्ध बनते हैं। अच्छा प्रारब्ध भाग्य और बुरा प्रारब्ध दुर्भाग्य। पूर्व जन्म और वर्तमान जन्मों के कर्मों के भाग को लेकर प्रकृति भाग्य बनाती है।
प्रश्न- क्या हम जो भी कर्म करते है वह ईश्वर ने पहले से ही तय कर रखे हैं क्या ?
जब ईश्वर ने सबके कर्म पहले से तय कर रखे है तो भाग्य का क्या मतलब है ?
उत्तर- नहीं ।
भगवान ने एकमात्र हमें बुद्धि दी है और तीन गुण दिए हैं ।
सत रज तम ।
इन्हीं के अधीन रहकर ही प्रत्येक जीव कर्म करता है ।
यह सत रज तम गुण आपके परिवेश , संगति , आचरण , नियम , संयम , ज्ञान , वैराग्य , सत्संग , खान पान इत्यादि पर निर्भर करता है ।
हत्यारे के साथ रहेंगे तो तमस गुण से प्रभावित होंगे और आप अपने कृत्य के लिए भगवान को दोष देंगे तो वह मान्य नहीं है।
भगवान ने मात्र आपको कर्म करने की शक्ति और चैतन्यता प्रदान की है , कर्म करने की स्वतंत्रता आप की है।
ईश्वर ने जो कर्म लिखे हैं वह तो होना ही है लेकिन ईश्वर ने जो लिख लिख दिया उसको हम अपने कर्म के आधार पर उसके प्रभाव को कम ज्यादा कर सकते हैं l
★ पुन: प्रश्न –फिर भाग्य की क्या भूमिका है
उत्तर-भाग्य हमारे कर्म के आधार पर बदलता रहता है हम जैसे कर्म करते हैं भविष्य के लिए वैसे हमारा बात करता रहता है l
यह ठीक वैसे ही है जैसे हम आज आम का पेड़ लगाएंगे तो 8 साल बाद या 10 साल बाद हमें फल खाने को मिलेगा l