जानिए #सावन सोमवार व्रत का महत्व
#सावन महीने में सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है | पुराणों व प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन प्रकार के बताये गए है। पहला तो है की सिर्फ सावन में जितने भी सोमवार पड़े उन समस्त सोमवार पर व्रत कर उमा – महेश्वर की आराधना करना, दूसरा सोलह सोमवार का व्रत सावन के सोमवार से प्रारंभ कर सोलह सोमवार व्रत करना तथा तीसरा है सोम प्रदोष, प्रदोष तिथि महीने में दो बार आनेवाली तिथि है जो भगवान् शिव को अतिप्रिय है और जब वह तिथि सोमवार को आ जाये तो फिर क्या कहना, इस कारण सोम प्रदोष को व्रत का भी विशेष महत्व वर्णित है ।
तीनो में से किसी भी तरह के सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। जिनमे उमा – महेश्वर अर्थात भगवान शिव तथा देवी माँ पार्वती की विशेष पूजा आराधना की जाती है। और यदि इनमे से किसी भी व्रत को श्रावण मास में प्रारंभ करे तो और भी शुभ है | सभी सोमवार व्रत विशेषकर श्रावण में किये जाने वाले सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे प्रहर तक अर्थात संध्याकाळ, गोधुली बेला तक किया जाता है
श्रावण सोमवार व्रत को महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है जानिए
भगवान शिव को प्रसन्न करना: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, माना जाता है कि वे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। श्रावण के दौरान सोमवार का व्रत रखना अत्यधिक शुभ माना जाता है और भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
आध्यात्मिक शुद्धि: श्रावण सोमवार के दौरान उपवास मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का एक साधन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ईमानदारी और भक्ति के साथ व्रत रखने से व्यक्ति अपने पापों, नकारात्मक ऊर्जाओं और अशुद्धियों को दूर कर सकता है और आध्यात्मिक विकास प्राप्त कर सकता है।
सद्भाव और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगना: भक्त अपने और अपने प्रियजनों की भलाई और समृद्धि के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रावण सोमवार व्रत का पालन करते हैं। वे अपने जीवन में सद्भाव, अच्छे स्वास्थ्य, सफलता और समग्र खुशी के लिए प्रार्थना करते हैं।
मनोकामना पूर्ति: कई भक्त मन में विशिष्ट इच्छाओं और इच्छाओं के साथ श्रावण सोमवार व्रत का पालन करते हैं। उनका मानना है कि इन शुभ दिनों पर व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। ऐसा माना जाता है कि यह बढ़ी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा और दैवीय हस्तक्षेप की तलाश का सही अवसर है।
भक्ति और आत्म-अनुशासन : श्रावण सोमवार व्रत का पालन करने के लिए आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है, क्योंकि भक्त कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं और पूरे दिन विशिष्ट प्रतिबंधों का पालन करते हैं। इसे भक्ति का कार्य माना जाता है, जो भक्त और देवता के बीच के बंधन को मजबूत करता है। यह व्रत भगवान शिव के प्रति भक्त के समर्पण और प्रतिबद्धता की याद दिलाता है।
सामुदायिक और उत्सव की भावना: श्रावण सोमवार व्रत का पालन भक्तों को एक साझा आध्यात्मिक अभ्यास में एक साथ लाता है। इस दौरान लोग अक्सर शिव मंदिरों में जाते हैं, विशेष अनुष्ठानों में भाग लेते हैं और सामूहिक प्रार्थना में संलग्न होते हैं। उत्सव का माहौल और सामूहिक भक्ति भक्तों के बीच एकता और सद्भाव की भावना पैदा करती है।