Tranding
Friday, September 20, 2024
#Chakvan Kalidhar, #यात्रापार्टनर , #Raghunatheshwar_Temple, #Shaktipeeth_Shri_Jwalamukhi_Temple, #Tedha_Temple, #Temples of Himachal Pradesh, #टेढ़ा मन्दिर, #रघुनाथेश्वर मन्दिर, #शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मन्दिर, #हिमाचल प्रदेश के मन्दिर,

#टेढ़ा मंदिर : 118 साल से एक तरफ झुका हुआ है यह मन्दिर

@sanatanyatra:वाकया चार अप्रैल 1905 का है। तत्कालीन पंजाब राज्य (अब हिमाचल प्रदेश) का कांगड़ा जिला विनाशकारी भूकम्प से दहल गया। कांगड़ा के किले समेत हजारों भवन मलबे के ढेर में बदल गये। करीब 11 हजार लोग काल का ग्रास बने। इसके बावजूद शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मन्दिर अविचलित खड़ा रहा।

यहां से दो किलोमीटर ऊपर चकवन कालीधर में स्थित ऐतिहासिक रघुनाथेश्वर मन्दिर (Raghunatheshwar Temple) ध्वस्त तो नहीं हुआ पर एक तरफ झुककर टेढ़ा अवश्य हो गया। आज करीब 118 साल बाद भी यह उसी स्थिति में खड़ा है और अब टेड़ा मन्दिर (Tedha Temple) के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी विराजमान हैं।

कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर ने मां ज्वालाजी की शक्ति को आजमाने के लिए टेढ़ा मंदिर (Tedha Temple) के पास से वहां तक नहर बनवायी थी जिसके पानी से पवित्र ज्योतियों को बुझाने की कोशिश की गई पर उसका यह कुकृत्य विफल हो गया। कांगड़ा गैजेट में भी इस मन्दिर का उल्लेख है।

शक्तिपीठ ज्वालामुखी आने वाले श्रद्धालु टेढ़ा मन्दिर को देखने के लिए जरूर जाते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच ऊबड़-खाबड़ रास्ता तय करना होता है। पहले यह मन्दिर साधु समाज के अधीन था। कुछ वर्ष पहले इसके महन्त व संचालक बाबा रामदास ने इसे श्री ज्वालाजी न्यास के सुपुर्द कर दिया।

इस मन्दिर के अन्दर जाने में डर लगता है कि कहीं यह गिर ना जाये। भूकम्प आने के बाद यहां की अष्टधातु से बनी असली मूर्तियों को सरकार ने अपने कब्जे मे ले लिया था। ये मूर्तियां धर्मशाला के जिला कोषागार में रखी हैं।

स्थानीय मान्यता है कि भगवान राम और देवी सीता यहां एक गुफा में कुछ समय के लिए रुके थे। वनवास काल के दौरान पाण्डव भी यहां आये थे और उन्होंने ही इस मन्दिर का निर्माण करावाया था। इसके बाद समय-समय पर इसका पुनरोद्धार किया जाता रहा।

टेढ़ा मन्दिर (Tedha Temple) हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला में घने जंगलों के बीच स्थित है। नवम्बर से फरवरी के बीच यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है जबकि मानसून के मौसम में पानी और मलबा आने से मार्ग कई बार खतरनाक हो जाता है। ऐसे में यहां जाने के लिए मई से जून और अक्टूबर ही सही समय है।

टेड़ा मन्दिर (Tedha Temple) के आसपास कई धार्मिक और प्रकृतिक सौन्दर्य से भरपूर स्थान हैं। शक्तिपीठ श्री ज्वालाजी यहां से दो किलोमीटर, कांगड़ा 37 किमी, धर्मशाला 73 किमी, ऊना 78 किमी और चिन्तापूर्णी मन्दिर 38 किमी दूर है।

ऐसे पहुंचें टेढ़ा मंदिर (How to reach Tedha Temple)

शक्तिपीठ ज्वालाजी के लिए कांगड़ा, दिल्ली, चण्डीगढ़, शिमला, जालन्धर और पठानकोट से नियमित बसें चलती हैं। निकटतम सुविधाजनक रेलवे स्टेशन ऊना और चण्डीगढ़ हैं। कांगड़ा के ही गगल में हवाई पट्टी है। हालांकि निकटतम ठीक-ठाक हवाई अड्डा करीब 177 किलोमीटर दूर शिमला में है। चंड़ीगढ़ एयरपोर्ट यहां से करीब 195 किमी पड़ता है। ऊना, शिमला और चण्डीगढ़ तक ट्रेन से पहुंचकर आगे की यात्रा बस अथवा टैक्सी से करनी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!