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Friday, September 20, 2024
हमारे आराध्य / September 10, 2024

हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार? जानिए! हनुमान जी के पांचों मुख का महत्व

डेस्क@SanatanYatra. हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त हैं तो संकट मोचन भी। रामकाज करिवे को रसिया अर्थात हनुमान जी का का नाम सुनते ही सभी प्रकार के दुःख और बाधाएं स्वयं दूर हो जाते हैं। हनुमान जी के वानररूप और बाल रूप (बालाजी) के बारे में आप जानते ही हैं। इसके अतिरिक्त हनुमान जी का एक और रूप है, जिसे पंचमुखी हनुमान के नाम से जानते हैं।

यहां हम हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के पांच मुखों की चर्चा कर रहे हैं। हनुमान जी की इन पांच अंको की दिशा अलग-अलग दिशाओं में है। इन सभी का अपना विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इन पांच मुखों के नाम, दिशा और उनके महत्व के विषय में।

हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी अवतार?

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध हो रहा था, तो इस बीच रावण को ये आभास हुआ कि उसकी सेना युद्ध हार रही है। तभी उसे अपने मायावी भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण मां भवानी का परम भक्त था और तंत्र विद्या का ज्ञाता भी। उसने अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग करके भगवान राम की पूरी सेना को नींद में सुला दिया। इसी बीच उसने भगवान राम के साथ-साथ लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताल लोक ले गया।

मां भवानी का भक्त होने के कारण अहिरावण ने भवानी देवी के निमित्त 5 दिशा में 5 दीपक जलाए हुए थे। उसे यह वरदान प्राप्त था कि जो कोई इन पांचों दीपक को एक साथ बुझा पाएगा वही उसका वध कर सकेगा। तब राम जी और लक्ष्मण जी को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए हनुमानजी को पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया। तब भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हो गए।

पंचमुखी अवतार का महत्व

वानर मुख – पंचमुखी अवतार में हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर हनुमान जो मुख है उसे वानर मुख कहा जाता है। माना जाता है वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।

गरुड़ मुख – हनुमान जी का पश्चिम दिशा वाला गरुड़ मुख कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मुख जीवन की रुकावटों और परेशानियों को खत्म करने का काम करता है।

वराह मुख्य – हनुमान जी का पंचमुखी अवतार में उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से लंबी आयु, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।

नृसिंह मुख – हनुमान जी का दक्षिण दिशा में स्थित मुख नृसिंह मुख कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नृसिंह मुख जीवन में आ रहे तनाव और मुश्किलों को दूर करता है।

अश्व मुख – हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे अश्व मुख भी कहा जाता है। यह मुख मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है।

इस तरह करें पूजा

सनातन धर्म में मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी के लिए समर्पित माना जाता है। ऐसे में इस दिन हनुमान जी को पूजा के दौरान लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। साथ ही बजरंगबली को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए। इस दिन सुंदरकाण्ड या फिर हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। पंचमुखी हनुमान मंत्र विशेष फलदायी माना जाता है।

मिलते हैं ये लाभ

घर में पंचमुखी हनुमान जी के चित्र से वास्तु दोष की समाप्ति होती हैं। वहीं, घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर बनी रहती है।

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