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Thursday, November 21, 2024
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Yashoda Jayanti 2024:यशोदा जयंती पूजा विधि,महत्व एवं कथा

Yashoda Jayanti 2024: आज यानी 1 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है। माताओं के लिए यशोदा जयंती का पर्व बेहद खास माना जाता है। यह पर्व माता और संतान के प्रेम को दर्शाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।
यशोदा जयंती भगवान कृष्ण की माता, माता यशोदा के जन्मदिन का उत्सव है। यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।जयंती का इतिहास और महत्व के बारे में:
क्यों मनाई जाती है यशोदा जयंती
माता यशोदा का जन्म मथुरा के राजा वृषभानु और उनकी पत्नी कल्याणवती के घर हुआ था।उनका विवाह नंद बाबा से हुआ था, जो गोकुल के राजा थे। भगवान कृष्ण का जन्म देवकी और वासुदेव के घर हुआ था, लेकिन कंस, देवकी का भाई, उन्हें मारने के लिए संकल्प किया था।इसलिए, भगवान कृष्ण को यशोदा और नंद बाबा के घर में लाया गया और उनका पालन-पोषण किया गया। माता यशोदा ने भगवान कृष्ण को बहुत प्यार और स्नेह दिया।
यशोदा जयंती का महत्व
फाल्गुन माह साल का आखिरी और विशेष महीना माना जाता है। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण के तीन रूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है।

इस दिन भक्त माता यशोदा और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।वे व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का गायन करते हैं। माता यशोदा का वात्सल्य सभी माताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।यह दिन भक्तों के लिए भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने का अवसर है।

यशोदा जयंती कैसे मनाई जाती है
भक्त माता यशोदा और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।मां यशोदा को मिष्ठान और भगवान कृष्ण को मक्खन का भोग लगाएं।कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। वे केवल पानी या फल का रस पीते हैं।भक्त भगवान कृष्ण के भजन गाते हैं और उनकी बाल लीलाओं का गायन करते हैं। कुछ स्थानों पर, लोग नृत्य और उत्सव के माध्यम से यशोदा जयंती मनाते हैं।
यशोदा जयंती कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय में यशोदा ने श्रीहरि की घोर तपस्या की, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। यशोदा ने कहा हे ईश्वर! मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे, मेरे पुत्र रूप में प्राप्त होंगे। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले काल में मैं वासुदेव एवं देवकी के घर मैं जन्म लूंगा लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा। समय के साथ ऐसा ही हुआ और श्रीकृष्ण देवकी व वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए। इस दिन कृष्ण व यशोदा के विधिवत पूजन, व्रत व उपाय से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त होता है, गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है व संपत्ति से लाभ मिलता है।

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