माँ शैलीपुत्री की प्रार्थना, स्तुति,मंत्र, ध्यान, स्तोत्र, कवच और आरती
@sanatanyatra #नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। शैलीपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। संस्कृत में शैल का अर्थ है पर्वत और जिसके कारण देवी को पर्वत की पुत्री शैलपुत्री के नाम से जाना जाता था।ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा, सभी भाग्य का प्रदाता, देवी शैलपुत्री द्वारा शासित होता है और चंद्रमा के किसी भी बुरे प्रभाव को आदि शक्ति के इस रूप की पूजा करने से दूर किया जा सकता है।
मां प्रकृति की देवी हैं इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री, देवी पार्वती का अवतार हैं। मां शैलपुत्री का स्वरूप मां शैलपुत्री के बाएं हाथ में त्रिशूल और दाएं हाथ में डमरू है। उनका वाहन बैल है। मां शैलपुत्री मुख्य रूप से मूलाधार चक्र की देवी मानी जाती हैं।
जिसे योग की शक्ति द्वारा जागृत कर मां से शक्ति पाई जा सकती है। शक्ति प्राप्ति के लिए माँ के ध्यान मंत्र, उपासना मंत्र और कवच का विधि पूर्वक मंत्रोउच्चारण करने से माँ शैलपुत्री अवश्य अपने भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अभय दान और समस्त आकांशाओ की पूर्ति करती है
कैसे करें मां शैलपुत्री की आराधना ?
1.लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें।
2.उस पर मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें।
4. हाथ में लाल पुष्प लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करें।
5.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम: मंत्र का जाप करें।
6) मां शैलपुत्री देवी के मंत्र का भी जाप कर सकते हैं ।
7.मां शैलपुत्री को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगायें।
माँ शैलपुत्री मंत्र
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।माँ शैलपुत्री ध्यान मंत्र
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥
माँ शैलपुत्री स्तोत्र
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।
सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
माँ शैलपुत्री कवच
ओमकार: में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।
शैलपुत्री की आरती – Shailputri Aarti Lyrics
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।