#मंगला_गौरी_व्रत_कथा एवं पूजा विधि
सावन के महीने में जितना महत्व सोमवार का है, उतना ही मंगलवार का भी है। इस माह में जहाँ हर सोमवार को भोले नाथ की पूजा की जाती है, वहीं हर मंगलवार माँ मंगला-गौरी की पूजा भी की जाती है।
मान्यता है कि यदि किसी के वैवाहिक जीवन में कोई समस्या, विवाह में कोई अड़चन या फिर सन्तान सुख प्राप्त न नहीं है, तो उसे मंगला-गौरी का व्रत मंगलवार के दिन रखना चाहिए और पूजा अर्चना करनी चाहिए।
मंगला-गौरी व्रत करने वाली महिलाएँ पूजा में इस व्रत की कथा का पाठ भी जरूर करती हैं। आइए जानते हैं मंगला-गौरी व्रत कथा क्या है ?
मंगला-गौरी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, पुराने समय में एक धर्मपाल नाम का सेठ था। उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी, बस कमी थी तो सन्तान की। इस वजह से सेठ और उसकी पत्नी काफी परेशान रहते थे।
सन्तान प्राप्ति के लिए सेठ ने कई जप-तप, ध्यान और अनुष्ठान किए, जिससे देवी प्रसन्न हुईं और सेठ से मनचाहा वर माँगने को कहा।
तब सेठ ने कहा–‛माँ मैं सर्वसुखी और धनधान्य से समर्थ हूँ, परन्तु मैं सन्तान सुख से वंचित हूँ। मैं आपसे वंश चलाने के लिए एक पुत्र का वरदान माँगता हूँ।’
सेठ की बात सुनकर देवी ने कहा–‛सेठ तुमने बहुत ही कठिन वरदान मांगा है। पर मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूँ इसलिए मैं तुम्हें वरदान तो दे देती हूँ कि तुम्हें घर पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी परन्तु तुम्हारा पुत्र केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।’ ‘श्रीजी की चरण सेवा’ की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे फेसबुक पेज ‘श्रीजी की चरण सेवा’ को फॉलो तथा लाईक करें और अपने सभी भगवत्प्रेमी मित्रों को भी आमंत्रित करें। देवी की यह बात सुनकर सेठ और सेठानी बहुत दुःखी हुए लेकिन फिर भी उन्होंने वरदान स्वीकार कर लिया।
देवी के वरदान से सेठानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। सेठ ने जब अपने पुत्र का नामकरण संस्कार किया तो उसने उसका नाम चिरायु रखा। जैसे-जैसे समय बीतता गया। सेठ-सेठानी को अपने पुत्र की मृत्यु की चिन्ता सताने लगी।
तब एक विद्वान ने सेठ को यह सलाह दी कि यदि वह अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करा देगें, जो मंगला-गौरी का व्रत रखती हो। उसी कन्या के व्रत के फलस्वरूप आपके पुत्र को दीर्घायु प्राप्त होगी।
सेठ ने विद्वान के कहे अनुसार अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करार दिया, जो मंगला-गौरी का विधिपूर्वक व्रत रखती थी। विवाह के परिणामस्वरूप चिरायु का अकाल मृत्युदोष समाप्त हो गया और राजा का पुत्र नामानुसार चिरायु हो उठा। तभी से महिलाएँ पूरी श्रद्धाभाव से मंगला-गौरी का व्रत रखने लगी।
मंगला-गौरी व्रत विधि
मंगला गौरी व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठें, स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। चौकी पर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
मां के समक्ष व्रत का संकल्प करें व आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी का पूजन करें। पूजा पूर्ण होने पर मां गौरी की आरती करें और उनसे प्रार्थना करें।
“जय जय श्री राधे”