#HariyaliTeej2024:कब हैं हरियाली तीज ? जानें पौराणिक कथा एवं महत्व
#sanatanyatra:सनातन धर्म के प्राचीनतम पर्वों में से एक और सौभाग्य का प्रतीक कहे जाने वाले ‘हरियाली तीज’ सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहँदी लगाती हैं। ये वो समय होता है जब सावन में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ी हुई होती है। यही वजह है कि इस त्यौहार को हरियाली तीज कहते हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
हरियाली तीज का ये खूबसूरत त्यौहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वार यह पर्व बुधवार, अगस्त 7, 2024 को हैं।ये पर्व मुख्यतः उत्तर भारत में मनाये जाने का चलन है। उत्तर प्रदेश में इस दिन को कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
#हरियाली_तीज_2024
हरियाली तीज बुधवार, अगस्त 7, 2024 को
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 06, 2024 को 07:52 पी एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 07, 2024 को 10:05 पी एम बजे
हरियाली तीज का व्रत शुभ मुहूर्त-हरियाली तीज का ब्रह्म मुहूर्त 7 अगस्त को सुबह 4:21 मिनट से 5:03 मिनट तक है। सूर्योदय से पहले मिठाई, फल आदि खाए जाते हैं। इसके बाद महिलाएं व्रत रखती हैं। व्रत वाले दिन सूर्य उदय सुबह 5बजकर 46 मिनट होगा। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह 5 बजकर 46 मिनट से 9 बजकर 06 मिनट तक, सुबह 10बजकर 46 मिनट से दोपहर12 बजकर 27 मिनट तक और दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से शाम 7 बजकर 07 मिनट तक पूजा कर सकती हैं।
हरियाली तीज पूजा विधि
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।
1. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें।
2. मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।
3. हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।
हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है…
1. पति से छल-कपट
2. झूठ व दुर्व्यवहार करना
3. परनिंदा (दूसरो की बुराई करने से बचना)
हरियाली तीज परंपरा
हरियाली तीज के इस त्यौहार से जुड़ी कई खूबसूरत परंपरा भी होती है। मान्यता के अनुसार शादी के बाद पड़ने वाली हरियाली तीज का बहुत महत्व बताया गया है। इस दौरान नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है।
01. हरियाली तीज से एक दिन पहले नवविवाहित लड़की के ससुराल की तरफ से कपड़े, गहने, साज-श्रृंगार का सामान, मेहँदी, और फल मिठाई लड़की के मायके भेजी जाती है।
02. कहा जाता है कि इस दिन हाथों में मेहँदी लगाने का बहुत महत्व होता है।
03. हरियाली तीज के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजती हैं। हाथों में मेहँदी और पैरों में आलता इनकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है। मेहँदी और आलता सुहागिन महिलाओं की निशानी होती है।
04. पूजा इत्यादि के बाद इस दिन सुहागिनें अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। अगर किसी भी सूरत में सास नहीं होती हैं तो सुहागी घर की किसी भी अन्य सम्मानित महिला को दी जाती है।
05. महिलाएं इस दिन साज-श्रृंगार कर के माँ पार्वती की पूजा करती हैं।
06. इस दिन एक और खूबसूरत परंपरा का पालन किया जाता है जिसमें बागों में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं इस पर झूलती और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।
हरियाली तीज का पौराणिक महत्व
हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है। और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया । तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
हरियाली तीज व्रत कथा–
शिवजी कहते हैं, ‘हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया. तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे. ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे।
जब तुम्हारे पिता ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी! यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकतीमैं इस विवाह के लिए तैयार हूं’।
शिवजी पार्वती जी से कहते हैं, ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया. लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ. तुम मुझे यानी कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी।
तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई तुम्हारी सहेली ने सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा? उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली। तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। श्रावण तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे’ पर्वत राज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए. कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया’।
भगवान् शिव ने इसके बाद बताया, ‘हे पार्वती! श्रावण शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूं’
भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।
हरियाली तीज माता पार्वती आरती–
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।। जय पार्वती माता।।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय पार्वती माता।।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।। जय पार्वती माता।।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।।
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।। जय पार्वती माता।।
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।। जय पार्वती माता।।
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता। जय पार्वती माता।।
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।। जय पार्वती माता।।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।। जय पार्वती माता।।