Tranding
Thursday, November 21, 2024

मंगल और शुभता का प्रतीक है स्वास्तिक, जानिए इसका कारण और रहस्य?

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में स्वास्तिक मंगल और शुभता का प्रतीक माना जाता रहा है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाया जाता है। स्वास्तिक शब्द को ‘सु’ और ‘अस्ति’ का मिश्रण योग माना गया है।‘सु’ का अर्थ है शुभ और ‘अस्ति’ से तात्पर्य है होना। इसका मतलब स्वास्तिक का मौलिक अर्थ है ‘शुभ हो’, ‘कल्याण हो’।आइए जानते हैं आखिर क्या है स्वास्तिक

स्वास्तिक का अर्थ होता है – कल्याण या मंगल करने वाला। स्वास्तिक एक विशेष तरह की आकृति है, जिसे किसी भी कार्य को करने से पहले बनाया जाता है। माना जाता है कि यह चारों दिशाओं से शुभ और मंगल चीजों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

‘ स्वास्तिक’ अर्थात् ‘कुशलक्षेम या कल्याण का प्रतीक ही स्वस्तिक है। ‘ स्वास्तिक’ में एक दूसरे को काटती हुई दो सीधी रेखाएँ होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं। इसके बाद भी ये रेखाएँ अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती हैं।स्वास्तिक की यह आकृति दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वास्तिक, जिसमें रेखाएँ आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दायीं ओर मुड़ती हैं। इसे ‘ स्वास्तिक’ कहते हैं। यही शुभ चिह्न है, जो हमारी प्रगति की ओर संकेत करता है।

‘ स्वास्तिक’ को ऋग्वेद की ऋचा में सूर्य का प्रतीक माना गया है और उसकी चार भुजाओं को चार दिशाओं की उपमा दी गई है। सिद्धान्तसार नामक ग्रन्थ में उसे विश्व ब्रह्माण्ड का प्रतीक चित्र माना गया है। उसके मध्य भाग को विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में निरूपित किया गया है। अन्य ग्रन्थों में चार युग, चार वर्ण, चार आश्रम एवं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चार प्रतिफल प्राप्त करने वाली समाज व्यवस्था एवं वैयक्तिक आस्था को जीवन्त रखने वाले संकेतों को स्वस्तिक में ओत-प्रोत बताया गया है। स्वास्तिक की चार रेखाओं को जोडऩे के बाद मध्य में बने बिंदु को भी विभिन्न मान्यताओं द्वारा परिभाषित किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!