Tranding
Friday, September 20, 2024
#चैत्रनवरात्रि ,#ChaitraNavratri2024 ,#नवरात्रि, #Navratri2024, #मांशैलपुत्री ,#मांब्रह्मचारिणी, #मांचंद्रघण्टा ,#मांकुष्माण्डा, #मांस्कंदमाता, #मांकात्यायनी, #मांकालरात्री, #मांमहागौरी, #मांसिद्धीदात्री ,#प्रतिपदातिथि, #द्वितीयातिथि ,#तृतीयातिथि ,#चतुर्थीतिथि ,#पंचमीतिथि, #षष्ठीतिथि, #सप्तमीतिथि ,#अष्टमीतिथि ,#नवमीतिथि, #महानवमी, #रामनवमी, सनातन ,सनातन पर्व ,

चैत्र नवरात्रि 2024: कैसे करें कलश और घट स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त

सनातन पर्व : नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. एक साल में कुल चार बार नवरात्रि आती है। इसमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो नवमी तिथि पर संपन्न होती है। पहले दिन कलश स्थापना के साथ माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

इस साल चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11:50 बजे से शुरू होगी, जो 9 अप्रैल को रात 08:30 बजे समाप्त होगी।सनातन हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार उदया तिथि के आधार पर मनाई जाती है।इस कारण से चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से होगा। 9 अप्रैल को दो शुभ योग अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि बन रहे हैं।घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त घटस्थापना यानी कलश स्थापना के लिए 9 अप्रैल 2024 को शुभ मुहूर्त 6 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी होती है।9 अप्रैल घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा है।नवरात्रि में दुर्गा पूजा के पहले कलश और घट स्थापना करके उसकी पूजा की जाती है। आओ जानते हैं कि कैसे करते हैं कलश और घट स्थापना और उसकी पूजा की संपूर्ण विधि।

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ-* 08 अप्रैल 2024 को रात्रि 11:50 बजे से।

प्रतिपदा तिथि समाप्त-* 09 अप्रैल 2024 को रात्रि 08:30 को।

उदयातिथि के अनुसार 09 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगी।*

नवरात्रि प्रारंभ दिनांक:-* 09 अप्रैल 2024 मंगल से।

कलश स्थापना पूजा विधि

  • एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें।
  • अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
  • अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें।
  • इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
  • अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’
  • आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें।
  • कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूल माला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें।
  • नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।

कैसे करें घट स्थापना

  • घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
  • घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें।
  • फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें।
  • एक बार फिर जौ डालें।
  • फिर से मिट्टी की परत बिछाएं।
  • अब इस पर जल का छिड़काव करें।
  • इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें।
  • अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
  • जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें।
  • घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं।
  • घट के गले में मौली बांधे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!