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Friday, September 20, 2024
(लेखक पोषण विज्ञान के गहन अध्येता और न्यूट्रीकेयर बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन हैं।)

Panchgavya : दुनिया का सबसे पुराना प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट पंचगव्य

पंकज गंगवार@SanatanYatra

मुझे लगता था कि गौमूत्र तो शायद किसी वजह से फायदेमंद हो सकता है क्योंकि गाय जिस जमीन पर चलती है, उस पर उगी विभिन्न वनस्पतियों को खाती है जिससे शरीर के लिए आवश्यक मिनरल्स उसके मूत्र में हो सकते हैं। लेकिन, पंचगव्य के बारे में जब सुना जिसमें गाय का गोबर भी पड़ता है तो मेरी बुद्धि चकरा गयी। आखिर गाय के गोबर में ऐसा क्या हो सकता है जो हमारे लिए लाभकारी है?

मेरे लिए सारी पुरातन बातें और ज्ञान तब तक सही नहीं हैं जब तक कि वे विज्ञान की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। मैं कभी भी गाय के गोबर या गौमूत्र का उपयोग करने के समर्थन में नहीं था लेकिन जब ह्यूमन माइक्रोबायोम के बारे में पढ़ा तो मेरे विचार बदल गये। ह्यूमन माइक्रोबायोम यानी मानव सूक्ष्मजीवजात से अभिप्राय उन सभी सूक्ष्मजीवजात के समुच्चय से है जो मानव ऊतकों और जैवतरलों में रहते हैं। यहां यह बताना आवश्यक है कि इन दिनों मैं ह्यूमन माइक्रोबायोम के बारे में खूब अध्ययन कर रहा हूं। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप जो बातें मैंने समझी हैं और पढ़ी हैं, उन पर लिखता रहता हूं। 

ऐसे तैयार होता है पंचगव्य (how to prepare Panchagavya)

सूर्य नाड़ी वाली गायों के उत्पाद ही पंचगव्य के निर्माण के लिए उपयुक्त होते हैं। देसी गायें इसी श्रेणी में आती हैं। इनके उत्पादों में मानव के लिए जरूरी सभी तत्व पाये जाते हैं। पंचगव्य में गाय का दूध, गाय के ही दूध से तैयार दही, गाय का मूत्र, गाय का घी और गाय के गोबर का अर्क मिलाया जाता है। पंचगव्य को विभिन्न असाध्य बीमारियों को दूर करने वाला बताया गया है। तो आखिर ऐसा क्या है पंचगव्य में जो इसे खास बनाता है? इस आलेख के शीर्षक में मैंने प्रोबायोटिक शब्द का प्रयोग किया है। जो लोग इस शब्द को नहीं समझते हैं उनको यह बात जाननी चाहिए कि यह चिकित्सा विज्ञान या विज्ञान की एक शाखा है जिसमें मानव के पेट में पाए जाने वाले स्वास्थ्य कारक सूक्ष्मजीवों का प्रयोग दवाओं के रूप में किया जाता है। आजकल विभिन्न प्रकार के प्रोबायोटिक फूड और सप्लीमेंट बाजार में उपलब्ध हैं।

सभी प्रकार के जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि करने के लिए एक ऐसे माध्यम की आवश्यकता होती है जिसमें पर्याप्त मात्रा में भोजन हो और सूक्ष्मजीव उसे खाकर अपनी संख्या में वृद्धि कर सकें। दूध एक अच्छा माध्यम है। आप लोगों ने देखा होगा कि दूध बहुत जल्दी खराब हो जाता है। इसका कारण यही है कि इसमें सूक्ष्मजीव बहुत जल्दी पनपने लगते हैं। इसीलिए पंचगव्य में हम दूध लेते हैं और उसमें दही मिलाते हैं। दही में बहुत सारे लेक्टो एसिड बेसिलस जीवाणु होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। दूध-दही के इस मिश्रण में गाय का गोबर मिलाया जाता है।

हम लोग हरबी बोरास (शाकाहार) से विकसित होते हुए यहां तक आए हैं। गाय की आंतों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव उसके गोबर में भी होते हैं और ये सूक्ष्मजीव हमारे लिए भी आवश्यक होते हैं। इसलिए गाय के ताजे गोबर का अर्क दूध में मिलाया जाता है ताकि उसमें पाए जाने वाले जीवाणु दूध में अच्छी तरह से पनप सकें। गौमूत्र में कई तरह के लाभदायक मिनरल्स होते हैं जो रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ाते हैं और मांसपेशियों को मज़बूत करते हैं। इसी प्रकार देसी गाय के घी में वसा, प्रोटीन, ओमेगा 3, कोलीन, विटामिन डी, विटामिन के, विटामिन ए और विटामिन ई होते हैं। इसीलिए पंचगव्य एक अच्छा प्रोबायोटिक सप्लीमेंट है।

मैं आज के लिहाज से पंचगव्य के उपयोग के बारे में कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि आजकल पशुओं का खानपान इतना शुद्ध नहीं है और उनके भोजन में हानिकारक जीवाणु भी हो सकते हैं। यह आपके विवेक पर छोड़ रहा हूं कि आप पंचगव्य का प्रयोग करें या ना करें लेकिन इसके पीछे का विज्ञान क्या है यह मैंने आपको बता दिया है।

पंचगव्य का धार्मिक महत्व (Religious significance of Panchagavya)

गाय से मुख्य रूप से प्राप्त होने वाली पांच चीजों (दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर) को धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, शुभ-मांगलिक कार्यों के लिए जरूरी माना जाता है। गाय से जुड़ी इन्हीं पांच चीजों को पंचगव्य कहा जाता है। हिंदू धर्म में पंचगव्य के बिना शुभ-मांगलिक कार्य पूरे नहीं होते। गांव-कस्बों से लेकर शहरों तक किसी भी धार्मिक उत्सव, मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ, अनुष्ठान में पंचगव्य के प्रयोग को प्रधानता दी जाती है। गृह शुद्धि से लेकर शरीर की शुद्धि तक पंचगव्य का प्रयोग किया जाता है।

खेती में भी इस्तेमाल

अपने औषधीय गुणों की वजह से पंचगव्य का उपयोग चिकित्सा के अतिरिक्त कृषि, खासकर आर्गेनिक खेती में जैव-उर्वरक, जैव-कीटनाशक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले योग के तौर पर किया जाता रहा है। पंचगव्य एक अत्यधिक प्रभावी जैविक खाद है जो पौधों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है और उनकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। पंचगव्य को देसी गाय के पांच उत्पादों से बनाया जाता है क्योंकि इन उत्पादों में पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त और संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं। गोमय यानी गाय का गोबर देसी खाद का मुख्य अवयव है। उपनिषदों में कहा गया है, “गोमय वसते लक्ष्मी गौमूत्र्ये धन्वंतरि” अर्थात गोमाता के गोबर में माता लक्ष्मी एवं गौमूत्र में भगवान धन्वंतरी का वास होता है।

पंचगव्य की क्रियात्मक गतिविधियां (Functional activities of Panchagavya)

भारतीय और कई विदेशी संस्थानों द्वारा किए गये पंचगव्य के कई व्यावहारिक परीक्षणों ने पंचगव्य में वैज्ञानिक रूप से कई गतिविधियों को दिखाया है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं- ग्रोथ प्रमोटर, हेपेटोप्रोटेक्टिव, इम्यूनोस्टिमुलेंट, सूक्ष्मजीव–रोधी गतिविधि, प्रोबायोटिक, एंटीऑक्सिडेंट।

राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र की वेवसाइट पर पंचगव्य के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध है। कुछ शिक्षण संस्थानों ने एडवांस डिप्लोमा इन पंचगव्य थेरेपी (एडीपीटी) भी शुरू किए हैं।

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