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Thursday, November 14, 2024
श्री बालाजी चालीसा,Shri Balaji Chalisa

श्री बालाजी चालीसा

प्रभु श्रीराम, जनकनंदिनी माता सीता, एवं माँ अंजनि के लाल,वीर महावीर, पवन पुत्र, भक्त सीरोमण श्री हनुमान जी महाराज का आशीर्वाद व दया दृष्टि सभी भक्तजनों एवं उनके परिवार पर बनी रहे—-

श्री बालाजी चालीसा

जय हनुमन्त अनन्त अघारी |अजर अमर अच्युत हियधारी ||

वरदायक बलवीर बिशेषा| निरुप अनूपम अंश महेशा||

सौम्य सुशील समीरज स्वाहा|स्वधा शीलनिधि सत्य अथाहा ||

कवि कौवेर क्रोध परिहारी | काव्य सरूप कपिल तनधारी ||

महावीर पुरुषोत्तम स्वामी| सूक्ष्म सर्वगति हरि अनुगामी ||

विद्यानिधि गुणनिधि श्रुति स्मृति|ब्रह्म निरामय सर्वलोक गति||

गुणागार गुण आश्रय गुणमय| बृहद्पुच्छ बृहदीश्वर निर्भय||

सात्विक शाश्वत तत्व प्रदाता|शुद्ध बुद्ध चैतन्य बिधाता ||

सत्यसिन्धु तनवेग मनोमय|मत्सर रहित मुक्त नित अक्षय||

कलि पावन भावत जन कर्ता|दुख दारिद्रय बिपति के हर्ता||

सदानन्द योगेश्वर जोगी|भ्रमित जीव हित प्रति संजोगी ||

दीन दयाकर जग भय नाशन |भूत प्रेत बैताल बिनासन||

कलि करालहित धार कुठारी|अगजग महिमा बिदित तुम्हारी ||

निरालम्ब आश्रय गुन श्रेष्ठा |बृहद्शक्ति सब देवन ज्येष्ठा ||

सहज सरूप महा दुति दर्शन|मन बच करम राम प्रति अन्य न||

निश्चर कुल बारिद हित बाता |कालनेमि प्राणन संहाता||

भक्त कामदा सुरतरु सुन्दर|विश्व वन्द्य मनु देव पुरन्दर ||

लंक कलंक शमन हित पावक |उग्र सरूप मोह भ्रम नाशक ||

तन्त्र मन्त्र मय भय अघहारी |तुमहिं भजे नहिं जीव दुखारी ||

भक्त अभय वर दायक देवा |सुर नर मुनि सब सारहि सेवा||

तुम सम हितू न जग जन कोई|दर्प दम्भहर सम नहिं होई ||

महाकार साकार अनेका|नाम अनेक शक्ति बल एका||

महातेज योगी दुति नादा|रिधि सिधि दाता रहित विवादा ||

भक्त बछल छल रहित महोदर|रक्षक पुच्छ हतासुर सुरवर||

अचलोद्धारक तारक निज जन|गुण समग्र स्तुत्य महाधन||

कृपा कवच नव नाथ महेश्वर|दीन दयाकर जन रक्षा कर||

शुद्ध आत्मनि शुद्ध बुद्ध हृदि |आयुध नख अघ नासक बुधि सुधि ||

अंजनि सुत श्रीकंठ अचंचल|ताप बिनासक कान्ति सुमंडल||

अक्षर कम्बु कंठ लम्बौष्ठव|रक्ताम्वर प्रिय सहज सौष्ठव||

संसृति भय सब नासनिहारे |विष्णु भक्त शुभ अंगनि वारे ||

सहस वदन निष्कल वनमाली |ग्यानमूर्ति उत्तम यशशाली ||

रंजन ध्वज धृत दंड पराक्रमि|नारायण पारायण वर क्षमि||

लोकनाथ स्तुति प्रिय कपिवर|वदन प्रशन्न शरीर दिगम्वर||

सिद्ध सुरेश निरन्तर स्तुत|स्वर्ण वर्ण कर गदा बृहद् तत||

सकल लोक पालक बिख्याता |दीन हीन दुख दारिद त्राता ||

बालक युवा बृद्ध नर नारी| सुमिरहिं जे ते होहिं सुखारी ||

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