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Thursday, November 21, 2024

शास्त्रों के अनुसार भोजन करके माता अन्नपूर्णा को करें प्रसन्न

हिदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सही समय पर और सही तरीके से भोजन करना घर में बरकत को बढ़ता हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं भोजन से जुड़ी कुछ खास और महत्वपूर्ण बातें जिन्हें हिंदू धर्म शास्त्रों में भी बताया गया हैं, तो आइए जानते हैं।

धर्म शास्त्रों में लिखा हैं कि जो मनुष्य बिना स्नान के रसोईघर में प्रवेश करता हैं उसके घर से बरकत धीरे धीरे कम होने लगती हैं और बिना स्नान किए भोजन करना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाता हैं। ऐसे में जरूरी है स्वस्थ्य और सफल जीवन के लिए हमेशा ही स्नान के बाद ही खाना खाएं।इससे देवी देवता प्रसन्न हो जाती हैं जिसका सीधा असर आप और आपके परिवार की सेहत पर पड़ता हैं।

वही शास्त्रों के मुताबिक जमीन पर बैठकर भोजन करना बहुत ही शुभ माना जाता हैं इससे एक तो आपका स्वास्थ्य ठीक रहता हैं साथ ही जमीन पर बैठकर भोजन करने से अन्न का आदर समझा जाता हैं, वही ऐसा करने से घर में अन्न की कोई कमी नहीं होती हैं।जो मनुष्य बिना स्नान के रसोईघर में प्रवेश करता हैं उसके घर से बरकत धीरे धीरे कम होने लगती हैं और बिना स्नान किए भोजन करना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाता हैं। ऐसे में जरूरी है स्वस्थ्य और सफल जीवन के लिए हमेशा ही स्नान के बाद ही खाना खाएं। इससे देवी देवता प्रसन्न हो जाते हैं जिसका सीधा असर आप और आपके परिवार की सेहत पर पड़ता हैं। ये हैं शास्त्रों के अनुसार बताए गए भोजन करने के नियम —

भोजन करने के भी नियम होते हैं। यह नहीं कि पेट भरना है तो चाहे जब खा लिया और चाहे जब भूखे रह लिये।भोजन से केवल भूख ही शांत नहीं होती बल्कि इसका प्रभाव तन, मन एवं मस्तिष्क पर पड़ता है। अनीति (पाप) से कमाए पैसे के भोजन से मन दूषित होता है (जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन) वहीं तले हुए, मसालेदार, बासी, रुक्ष एवं गरिष्ठ भोजन से मस्तिष्क में काम, क्रोध, तनाव जैसी वृत्तियाँ जन्म लेती हैं। भूख से अधिक या कम मात्रा में भोजन करने से तन रोगग्रस्त बनता है।

भोजन करने के बाद उसी थाली में हाथ धोने की कभी नहीं करे भूल

वास्तु के अनुसार खाने की थाली में ही हाथ धोना माता अन्नपूर्णा को अप्रसन्न करता है। इससे खाने के बाद सेहत से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।साथ ही, यह आदत आपके घर में माता लक्ष्मी के वास को भी रोकती है। इसलिए खाने के बाद हमेशा अलग से हाथ धोएं।

खाट पर बैठकर भोजन ना करें

कुछ लोगों को बिस्तर पर बैठकर खाना पसंद होता है। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो ये आदत आज ही बदल डालें। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस बिस्तर पर सोते हैं, उसी पर बैठकर खाना नहीं चाहिए। इससे जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और आप कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। साथ ही, आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता ।

तीन रोटी एक साथ ना परोसें

खाना परोसते समय इस बात का ध्यान रखें कि थाली में कभी भी तीन रोटी एक साथ ना रखें। वास्तु के अनुसार ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है।अगर आप थाली में कई चीजें एक साथ रखने की आदत रखते हैं, तो दो रोटी परोसें. साथ ही, रोटी को चावल के ऊपर रखें। इससे माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं।

थाली को साफ करके ही परोसें भोजन

खाना परोसते समय इस बात का ध्यान रखें कि थाली में पानी की बूंद भी ना हो। ऐसा करने से आपके जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसलिए खाना परोसने से पहले थाली को साफ कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें।

1–जिन पदार्थों से चिकनाई निकाली गयी हो उनका सेवन करना ठीक नहीं है। दिन में कई बार पेट भरकर, बहुत सवेरे अथवा बहुत शाम हो जाने पर भोजन नहीं करना चाहिए।

2-प्रातःकाल अगर भरपेट भोजन कर लिया तो फिर शाम को नहीं करना चाहिए।

3—जिस कार्य को करने से कोई लाभ न हो उसे करना व्यर्थ है। अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए और गोद में रखकर भोजन नहीं करना चाहिए।

4–हमें सुबह 10 से 11 बजे के बीच भोजन कर लेना चाहिए ताकि दिनभर कार्य करने के लिए ऊर्जा मिल सके। कुछ लोग सुबह चाय-नाश्ता करके रात्रि में भोजन करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता।

5–दिन का भोजन शारीरिक श्रम के अनुसार एवं रात का भोजन हल्का व सुपाच्य होना चाहिए। रात्रि का भोजन सोने से दो या तीन घंटे पूर्व करना चाहिए। तीव्र भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए।

6— इंगला, जिसको हम सूर्यस्वर या सूर्यनाडी के नाम से भी पहचानते है जब चल रही हो अर्थात नाक के दायें नथुने से श्वास चल रही हो तभी भोजन करना चाहिए |

7— टीवी देखते या अखबार पढ़ते हुए खाना नहीं खाना चाहिए।

8— नियमित अपनी माँ, बहिन, पत्नी और बेटी के हाथ से पकाए गए घर के भोजन को ग्रहण करने वाला जल्दी से बीमार नहीं होता वह चिरायु होता है।

9— खुले स्थान या सार्वजनिक स्थल पर भोजन नहीं करना चाहिए क्योकि किसी अतृप्त व्यक्ति की नजर आपके भोजन के आध्यात्मिक प्रभाव को क्षीण कर सकती है भोजन, भजन और शयन परदे में ही होने चाहिए ।

10–. अपने बड़े बुजुर्गों के साथ भोजन करने से आतंरिक प्रसन्नता बढ़ती है तथा उनका स्नेह अपने आप हम पर बरसने लगता है।

11— प्रेम से व दिल से लाये गए भोजन का कभी भी तिरस्कार न करें भले ही उसमे से एक कण ले खाए जरूर ऐसा न करने वाले अन्न का अनादर करते है ।

12–भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए।

13–रात्रि को दही, मुली ,सत्तू, तिल एवं गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। दूध के साथ नमक, दही, खट्टे पदार्थ, मछली, कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए। शहद व घी का समान मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। दूध-खीर के साथ खिचड़ी नहीं खाना चाहिए।

भोजन के पश्चात क्या करें

भोजन के पश्चात दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है।

1-रात के समय सोने से तीन घंटे पहले भोजन करना चाहिए।

2–दुबारा भोजन करने के बीच में कम से कम 5 से 6 घंटे का फासला होना चाहिए।

3-सोने के बाद उठकर तुरंत ही खाना नहीं खाना चाहिए।

4–भोजन में मिर्च-मसाले जैसे तेज पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

5–गले में जलन और गंदी वायु बनने पर भोजन न करें।

6–जहां तक संभव हो सके अधपका भोजन ही करना चाहिए (फल और सलाद अंकुरित आदि)।

7–बासी भोजन करने से कई तरह के रोग हो जाते हैं।

8–भोजन करते समय बीच-बीच में पानी न पिये या तो भोजन से 30 मिनट पहले पानी पिये या भोजन के 40 से 60 मिनट बाद पानी पिये।

9–मैदा, सफेद, चीनी, पॉलिश किया हुआ चावल आदि पदार्थों के सेवन से बचें।

10–भोजन में नमक, मिठाइयां, मसाला, घी आदि की मात्रा घटायें।

11–चाय, कॉफी, तली हुई चीज धूम्रपान, शराब, और खाने के तंबाकू आदि के सेवन से बचें।

12–सप्ताह में एक दिन रस और पानी पीकर रहना चाहिए।

13–चोकर मिलाकर आटे की रोटी खायें।

14–खाना खाते समय बातें नहीं करनी चाहिए।

15–भोजन करते हुए चलचित्र या टेलीविजन नहीं देखना चाहिए।

16–भोजन करने के बाद मूत्र त्यागने की आदत डालनी चाहिए।

17–दूध हमेशा सुबह नाश्ते के समय पीना चाहिए।

18–बहुत ज्यादा गर्म व बहुत ज्यादा ठंड़ी वस्तुएं खाने से हमारी पाचनक्रिया पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

19–भोजन के बाद मट्ठा पीना बहुत ही लाभदायक होता है।

20–भोजन करने के बाद 3 घंटे तक संभोग नहीं करना चाहिए।

21–तेज गर्मी से चलकर आने के बाद पानी पीते हुए एक हाथ से दोनों नाक के नथुने बन्द कर लेने चाहिए।

22-भोजन को इतना चबाये की वो पानी बन जाये जिस से खाना जल्दी पच जायेगा।

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