क्या होता है ‘अरणी मन्थन’ और कैसे उत्पन्न होती है अग्नि
SanatanScience: अरणी मन्थन अग्नि प्रकट करने की प्राचीन एवं वेदोक्त विधि है। मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव आवाह्न कर उत्पन्न अग्नि को अत्यन्त पवित्र माना जाता है।
सनातन धर्म के विज्ञान को समर्पित पत्रिका ‘सनातन यात्रा’ के सम्पादक विशाल गुप्ता बताते हैं कि ‘अरणी मन्थन’ विधि में शमी और पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि को प्रकट किया जाता है।
शमी की लकड़ी एक पटला रूपी यन्त्र. जिसमें एक छेद होता है। उसमें एक मथनी द्वारा पीपल वृक्ष की लकड़ी लगाकर घर्षण कर चिंगारी उत्पन्न की जाती है। इस बीच वेद मन्त्रों से अग्निदेव का आवाह्न किया जाता है। इस चिंगारी को रुई अथवा घास पर लेकर इसे अग्नि में बदला जाता है। इस पवित्र अग्नि को पूजा अनुष्ठान में उपयोग किया जाता है। शास्त्र कहते हैं कि इस प्रकार उत्पन्न अग्नि अत्यन्त कल्याणकारी होती है।