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Thursday, November 21, 2024
Pashupatinath_Temple

#पशुपतिनाथ_मंदिर : बागमती के तट पर महादेव का पांच मुख वाला विग्रह

@sanatanyatra:

नेपाल की राजधानी काठमाण्डू के पास बागमती नदी के तट पर स्थित है विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मन्दिर (Pashupatinath Temple)। शास्त्रों के अनुसार यहां विराजित ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में मन्दाकिनी नदी के तट पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का ही अंश है। शिव पुराण के अनुसार, ज्योतिर्लिंग 12 ही हैं परन्तु इसके 351वें श्लोक में श्री पशुपति लिंग का उल्लेख ज्योतिर्लिंग के समान ही किया गया है। 15वीं शताब्दी में राजा प्रताप मल्ल के समय शुरू हुई परम्परा के अनुसार मन्दिर में चार पुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं।

पशुपतिनाथ मन्दिर (Pashupatinath Temple)। में भगवान शिव की एक पांच मुख वाली मूर्ति है।  विग्रह में चारों दिशाओं में एक-एक मुख है जबकि एक मुख ऊपर की ओर है। प्रत्येक मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। मान्यता है कि यह शिवलिंग पारस पत्थर के समान है। किंवदन्तियों के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण तीसरी सदी ईसा पूर्व सोमदेव राजवंश के नरेशों ने कराया था लेकिन उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज़ 13वीं शताब्दी के ही हैं। भगवान पशुपतिनाथ (Lord Pashupatinath) में आस्था रखने वालों को ही मन्दिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। गैर हिन्दू आगन्तुक इसे बाहर से यानि बागमती नदी के दूसरे किनारे से ही देख सकते हैं।

नेपाल महात्म्य और हिमवतखण्ड पर आधारित स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली चले गए जो बागमती नदी के दूसरे किनारे पर जंगल में है। भगवान शिव वहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले गए। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए।

भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी किंवदन्ती के अनुसार, पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली। ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप केदारनाथ कहलाया तथा जहां पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ कहलाया।

ऐसे पहुंचें पशुपतिनाथ मन्दिर (How to reach Pashupatinath Temple)

काठमाण्डू में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। निकटतम हवाई अड्डा त्रिभुवन इण्टरनेशनल एयरपोर्ट इस पशुपतिनाथ मन्दिर (Pashupatinath Temple) से करीब ढाई किलोमीटर दूर है। दिल्ली, कोलकाता, पटना, दिल्ली  आदि से यहां के लिए सीधी उड़ान हैं। सड़क मार्ग से यह मन्दिर भारत के सोनौली से करीब 266 और गोरखपुर से लगभग 333 किलोमीटर पड़ता है।

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