Tranding
Thursday, November 21, 2024
#Sanatanyatra, #Sanatan, #HinglajShaktipeeth, #शक्तिपीठ, #हिंगलाजभवानी,

#HinglajShaktipeeth : हिन्दुओं की शक्तिपीठ, मुस्लिमों के लिए ‘नानी पीर’ हैं हिंगलाज भवानी

@Sanatanyatra. पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आबादी से दूर सूखे पहाड़ों पर एक छोटी प्राकृतिक गुफा। इस गुफा में मिट्टी की वेदी पर रखी है एक छोटी-सी शिला जो सिन्दूर से पुती हुई है। यह कोई साधारण गुफा या मन्दिर न होकर देवी की 51 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज शक्तिपीठ (#HinglajShaktipeeth) है।

माता सती की यह शक्तिपीठ बलूचिस्तान के लसबेला जिले की लारी तहसील के दूरस्थ पहाड़ी इलाके में एक संकीर्ण घाटी में स्थित है। यह कराची के उत्तर-पश्चिम में 250 किलोमीटर पड़ता है। हिंगोल नदी के पश्चिमी तट परमकरान रेगिस्तान की खेरथार पर्वत श्रृंखला के अन्त में स्थित यह क्षेत्र हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान के अन्तर्गत आता है।

इस गुफा मन्दिर में कोई दरवाजा नहीं है। यहां माता सती कोटरी रूप में जबकि भगवान भोलेनाथ भीमलोटन भैरव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। मन्दिर तक पहुंचने के लिए पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। मन्दिर क्षेत्र में भगवान गणेश, माता काली, ब्रह्म कुण्ड, तीर कुण्ड, राम झरोखा बैठक, अनिल कुण्ड, चन्द्र गोप, खारिवर और अघोर पूजा जैसे कई पूज्य स्थल हैं। मन्दिर की पऱिक्रमा करते हुए श्रद्धालु गुफा के एक रास्ते से दाखिल होकर दूसरे से निकल जाते हैं। मन्दिर के पास ही गुरु गोरखनाथ का चश्मा है। मान्यता है कि माता यहां प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करने आती हैं।

यह मन्दिर हिन्दुओं के लिए हिंगलाज शक्तिपीठ (#HinglajShaktipeeth) है तो मुसलमानों के लिए “नानी पीर” का स्थान। स्थानीय मुसलमान इसको “नानी का मन्दिर” भी कहते हैं। इस क्षेत्र में देवी को “बीबी नानी” कहा जाता है। एक प्राचीन परम्परा का पालन करते हुए स्थानीय मुसलमान तीर्थयात्रा समूह में शामिल होते हैं। इस तीर्थयात्रा को “नानी का हज” कहते हैं।

हिंगलाज शक्तिपीठ जाने वाले श्रद्धालुओं को लेने होते हैं 2 संकल्प

हिंगलाज_शक्तिपीठ (Hinglaj Shaktipeeth)की यात्रा का प्रस्थान बिन्दु हाव नदी को माना जाता है। यहां से आगे की यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को 2 संकल्प लेने होते हैं। सबसे पहले माता के मन्दिर के दर्शन करके वापस लौटने तक संन्यास ग्रहण करने का संकल्प लिया जाता है। दूसरा संकल्प है यात्रा के दौरान किसी भी सहयात्री को अपनी सुराही का पानी ना देना, भले ही वह प्यास से तड़प कर मर ही क्यों न जाए। कहा जाता है कि हिंगलाज माता तक पहुंचने के लिए भक्तों की परीक्षा लेने के लिए ये संकल्प लेने की परम्परा चली आ रही है। इसे पूरा नहीं करने वाले की यात्रा अपूर्ण मानी जाती है।

ऐसे पहुंचें हिंगलाज मन्दिर (How to reach #HinglajTemple)

कराची को पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। कराची एयरपोर्ट दुनिया के प्रमुख हवाईअड्डों से जुड़ा है। कराची से 11-12 किलोमीटर चलकर हाव नदी पड़ती है। यहीं से माता हिंगलाज की यात्रा शुरू होती है। श्रद्धालु हिंगोल नदी के किनारे जयकारों के साथ माता का गुणगान करते हुए आगे बढ़ते हैं। पहाड़ों को पार करने के बाद भक्‍त गुफा मन्दिर तक पहुंचते हैं।

हिंगलाज मन्दिर पहुंचना अमरनाथ यात्रा से ज्यादा कठिन माना जाता है। यात्रा मार्ग पर ऊंचे-ऊंचे पहाड़, दूर तक फैला निर्जन रेगिस्तान, जंगली जानवरों से भरे घने जंगल और 300 फीट ऊंचा मड ज्वालामुखी पड़ता है। यह पाकिस्तान के सबसे अशांत क्षेत्रों में से एक है जहां हर समय डाकुओं और आतंकवादियों का खतरा बना रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!