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Thursday, November 21, 2024
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108 Names of Lord Rama : भगवान श्रीराम के 108 नाम

108 Names of Lord Rama : सच्चे मन से भगवान राम के नाम का स्मरण करें। इससे आपको शांति, सुख और प्रसन्नता की अनुभूति होगी।
भगवान श्रीराम के 108 नाम

  1. श्रीराम: श्री राम अथवा सीता सहित राम
  2. रामचन्द्र: चंद्रमा के समान आनन्दमयी एवं मनोहर स्वरूप वाले राम
  3. रामभद्र: कल्याणमय राम
  4. शाश्वत: सनातन राम
  5. राजीवलोचन: कमल के समान नैनो वाले राम
  6. श्रीमान् राजेन्द्र: श्री सम्पन्न राजाओं के भी राजा, चक्रवर्ती सम्राट श्रीराम
  7. रघुपुङ्गव: जो रघुकुल में श्रेष्ठ है
  8. जानकीवल्लभ: जनक किशोरी सीता के प्रियतम राम
  9. जैत्र: विजयशील भगवान
  10. जितामित्र: जो शत्रुओं को जीतने वाला है
  11. जनार्दन: सम्पूर्ण मनुष्यों द्वारा याचना करने योग्य
  12. विश्वामित्रप्रिय: जो विश्वामित्र जी के प्रियतम है
  13. दांत: जितेंद्रिय
  14. शरण्यत्राणतत्पर: शरणागतों के रक्षा में तत्पर होने वाले
  15. बालिप्रमथन: जो बालि नामक वानर को मारने वाले है
  16. वाग्मी: अच्छे वक्ता
  17. सत्यवाक्: जो सत्यवादी है
  18. सत्यविक्रम: जो सत्य पराक्रमी है
  19. सत्यव्रत: सत्य का पालन करने वाले भगवान
  20. व्रतफल: सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप
  21. सदा हनुमदाश्रय: हनुमान जी के ह्रदयकमल में निवास करने वाले भगवान
  22. कौसलेय: जो कौशल्या जी के पुत्र है
  23. खरध्वंसी: खर नामक राक्षस का नाश करने वाले भगवान
  24. विराधवध-पण्डित: विराध नामक दैत्य का वध करने में कुशल
  25. विभीषण-परित्राता: जो विभीषण के रक्षक है
  26. दशग्रीवशिरोहर: दशशीश रावण के मस्तक काटने वाले ईश्वर
  27. सप्ततालप्रभेता: सात ताड़ वृक्षों को एक ही बाण से भेदने वाले
  28. हरकोदण्ड- खण्डन: जनकपुर में शिवजी के धनुष को तोड़ने वाले
  29. जामदग्न्यमहादर्पदलन: परशुरामजी के महान अभिमान को चूर्ण करने वाले 30. ताडकान्तकृत: ताड़का राक्षसी का वध करने वाले भगवान
  30. वेदान्तपार: जो वेदान्त के पारंगत विद्वान है
  31. वेदात्मा: वेदस्वरूप
  32. भवबन्धैकभेषज: संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप
  33. दूषणप्रिशिरोsरि: दूषण और त्रिशिरा नामक राक्षसों के शत्रु
  34. त्रिमूर्ति: ब्रह्मा,विष्णु और शिव- तीन रूप धारण करने वाले
  35. त्रिगुण: त्रिगुणस्वरूप अथवा तीनों गुणों के आश्रय
  36. त्रयी: जो तीन वेदस्वरूप है
  37. त्रिविक्रम: वामन अवतार में तीन पगों से समस्त त्रिलोक को नाप लेने वाले
  38. त्रिलोकात्मा: जो तीनों लोकों के आत्मा है
  39. पुण्यचारित्रकीर्तन: जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं
  40. त्रिलोकरक्षक: तीनों लोकों की रक्षा करने वाले
  41. धन्वी: धनुष धारण करने वाले
  42. दण्डकारण्यवासकृत्: दण्डकारण्य में निवास करने वाले भगवान
  43. अहल्यापावन: अहिल्या को पवित्र करने वाले भगवान
  44. पितृभक्त: जो अपने पिता के भक्त है
  45. वरप्रद: वर देने वाले भगवान
  46. जितेन्द्रिय: इन्द्रियों को काबू में रखने वाले
  47. जितक्रोध: क्रोध को जीतने वाले
  48. जितलोभ: लोभ की वृत्ति को परास्त करने वाले
  49. जगद्गुरु: अपने आदर्श चरित्रों से सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देने के कारण सबके गुरु
  50. ऋक्षवानरसंघाती: वानर और भालुओं की सेना का संगठन करने वाले
  51. चित्रकूट – समाश्रय: वनवास के समय चित्रकूट पर्वत पर निवास करने वाले 53. जयन्तत्राणवरद: जयन्त के प्राणों की रक्षा करके उसे वर देने वाले
  52. सुमित्रापुत्र- सेवित: सुमित्रानन्दन लक्ष्मण के द्वारा सेवित
  53. सर्वदेवाधिदेव: सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता
  54. सुमित्रापुत्र- सेवित: सुमित्रानन्दन लक्ष्मण के द्वारा सेवित
  55. सर्वदेवाधिदेव: सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता
  56. मृतवानरजीवन: मरे हुए वानरों को जीवित करने वाले
  57. मायामारीचहन्ता: मायामय मृग का रूप धारण करके आये हुए मारीच नामक राक्षस का वध करने वाले
  58. महाभाग: जो महान सौभाग्यशाली है
  59. महाभुज: बड़ी -बड़ी बाँहों वाले भगवान
  60. सर्वदेवस्तुत: सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं
  61. सौम्य: जो शांत स्वभाव के है
  62. ब्रह्मण्य: ब्राह्मणों के हितैषी ईश्वर
  63. मुनिसत्तम: जो मुनियों मे श्रेष्ठ है
  64. महायोगी: सम्पूर्ण योगों के अधीष्ठान होने के कारण महान योगी
  65. महोदर: परम उदार ईश्वर
  66. सुग्रीवस्थिर-राज्यपद: सुग्रीव को स्थिर राज्य प्रदान करने वाले
  67. सर्वपुण्याधिकफलप्रद: सम्स्त पुण्यों के उत्कृष्ट फलरूप
  68. स्मृतसर्वाघनाशन: स्मरण करने मात्र से ही सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाले 69. आदिपुरुष: ब्रह्माजी को भी उत्पन्न करने के कारण सब के आदिभूत अन्तर्यामी परमात्मा
  69. महापुरुष: समस्त पुरुषों मे महान ईश्वर
  70. परम: पुरुष: जो सर्वोत्कृष्ट पुरुष है
  71. पुण्योदय: पुण्य को प्रकट करने वाले ईश्वर
  72. महासार: सर्वश्रेष्ठ सारभूत परमात्मा
  73. पुराणपुरुषोत्तम: पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषों से श्रेष्ठ लीला पुरुषोत्तम
  74. स्मितवक्त्र: जिनके मुख पर सदा मुस्कान की छटा छायी रहती है
  75. मितभाषी: जो कम बोलने वाले है
  76. पूर्वभाषी: पूर्ववक्ता
  77. राघव: रघुकुल में अवतीर्ण होने वाले
  78. अनन्तगुण गम्भीर: अनन्त कल्याणमय गुणों से युक्त एवं गम्भीर
  79. धीरोदात्तगुणोत्तर: धीरोदात्त नायक के लोकोतर गुणों से युक्त
  80. मायामानुषचारित्र: अपनी माया का आश्रय लेकर मनुष्यों की सी लीलाएँ करनी वाले
  81. महादेवाभिपूजित: भगवान शंकर के द्वारा निरन्तर पूजित
  82. सेतुकृत: समुद्रपर पुल बाँधने वाले
  83. जितवारीश: जो समुद्र को जीतने वाले है
  84. सर्वतीर्थमय: सर्वतीर्थस्वरूप
  85. हरि: जो पाप-ताप को हरने वाले है
  86. श्यामाङ्ग: श्याम विग्रह वाले
  87. सुन्दर: परम मनोहर
  88. शूर: अनुपम शौर्य से सम्पन्न वीर
  89. पीतवासा: जो पीताम्बर धारी है
  90. धनुर्धर: जो धनुष धारण करने वाले है
  91. सर्वयज्ञाधिप: सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी
  92. यज्ञ: यज्ञ स्वरूप
  93. जरामरणवर्जित: बुढ़ापा और मृत्यु से परे
  94. शिवलिंगप्रतिष्ठाता: रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना करने वाले
  95. सर्वाघगणवर्जित: समस्त पाप-राशियों से रहित
  96. परमात्मा: परमश्रेष्ठ, नित्यशुद्ध-बुद्ध -मुक्तस्वरूपा
  97. परं ब्रह्म: सर्वोत्कृष्ट, सर्वव्यापी एवं सर्वाधिष्ठान परमेश्वर
  98. सच्चिदानन्दविग्रह: सत्, चित् और आनन्द ही जिनके स्वरूप का निर्देश कराने वाला
  99. परं ज्योति: परम प्रकाशमय, परम ज्ञानमय
  100. परं धाम: सर्वोत्कृष्ट तेज
  101. पराकाश: महाकाश स्वरुप ब्रह्म
  102. परात्पर: पर- इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर
  103. परेश: जो सर्वोत्कृष्ट शासक है
  104. पारग: सबको पार लगाने वाले भगवान
  105. पार: सबसे परे विद्यमान 107. सर्वभूतात्मक: सर्वभूतस्वरूप
  106. शिव: परम कल्याणमय
  107. सर्वभूतात्मक: सर्वभूतस्वरूप
  108. शिव: परम कल्याणमय

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