Tranding
Saturday, November 23, 2024
अक्षय तृतीया 2024 ,गजकेसरी , शश योग,अक्षय तृतीया, Akshaya Tritiya 2024, Gajakesari, Shash Yoga, Akshaya Tritiya,

Akshaya Tritiya 2024 : अक्षय तृतीया पर ये काम करने से होगी अपार धन प्राप्ति, जानें शुभ मुहूर्त

सनातन यात्रा : सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत महत्व है। इस बार शुक्रवार को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। वैदिक पंचाग के अनुसार बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया ही अक्षय तृतीया कहलाती है। इस तिथि में मांगलिक कार्य करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म और त्रेता, कल्पादि युगादि की शुरुआत हुई थी। साथ ही इसे धनतेरस के रूप में मनाये जाने की परंपरा भी है।

पंचाग के अनुसार तृतीया तिथि 10 मई शुक्रवार की प्रातः 4:57 बजे से शुरू होगी जो 11 मई की रात्रि 2: 50 बजे तक विद्यमान रहेगी। इस दिन प्रातः काल 10:45 बजे तक रोहिणी नक्षत्र और इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र रहेगा।

बताया कि चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, सूर्य मेष राशि में और शनिदेव कुंभ राशि में रहते हुए फल प्रदान करेंगे। इन सभी संयोगों के अतिरिक्त सुकर्मा, गजकेसरी और शश योग बन रहे हैं। अक्षय तृतीया के दिन वैवाहिक कार्यक्रम के लिये ग्रह, नक्षत्र, नाड़ी आदि का दोष नहीं माना जाता है।

बताया कि इस तिथि को अबूझ मुहूर्त मानकर विवाह भी किये जाते हैं। इस दिन सोना-चांदी खरीदने के साथ ही पीतल के बर्तन, चने की दाल, जौ, मिट्टी का घड़ा और सेंधा नमक आदि खरीदना शुभ माना जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार लक्ष्मी पूजन के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार अनाज, गन्ना, हाथ के पंखे, घड़ा, दही, सत्तू, खरबूजा, पानी आदि का दान करना अत्यंत लाभदायक रहता है।

शुभ मूहुर्त
प्रातःकाल 5:48 बजे दोपहर 12:24 बजे तक पूजा का मूहुर्त रहेगा। अभिजीति मुहूर्त में पूजा करना चाहें तो प्रातः 11:50 बजे से 12:44 बजे तक कर सकते हैं। दोनों शुभ नक्षत्रों में खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, सूर्य मेष राशि में और शनिदेव कुंभ राशि में रहते हुये फल प्रदान करेंगे। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु, माता महालक्ष्मी का पूजन श्रद्धा पूर्वक करने से उत्तम फल मिलता है। इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के पूजन का विधान है ।

पूजा विधि
प्रातः काल घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कर पीले या सफेद वस्त्र पहनकर अपने मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर गंगा जल से पवित्र करें। इसके बाद भगवान विष्णु, माता महालक्ष्मी के चित्र या मूर्ति का शुद्धोपचार कर इसके समक्ष घी का दीपक और धूप बत्ती जलाएं। भगवान गणेश का ध्यान करते हुये भगवान विष्णु, महालक्ष्मी को रोली, कुमकुम, फूल, नैवेद्य, मेवा, पान, सुपारी और फल अर्पित करें और पूजन कर आरती करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!