Tranding
Thursday, November 21, 2024
सनातन पर्व / March 12, 2024

#फुलेरा_दूज-द्वितीया चंद्र दर्शन का महत्व

हर मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर चंद्र दर्शन अत्यंत शुभ कहे जाते हैं। फुलैरा दूज पर चंद्र दर्शन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि फुलैरा दूज भी अबूझ मुहूर्तों में से एक कही जाने वाली तिथि है।

“हलाहल” विष के तीव्र व तीक्ष्ण दाह को शांत करने के लिए ही महादेव ने द्वितीया के शीतल बालचंद्र को मस्तक पर धारण किया था।

इस दिन चंद्रमा से अमृत का स्राव होता है जिसको आत्मा रूपी “सूर्य” ग्रहण करता है। शिवजी ने द्वितीया के चंद्रमा को ही मस्तक पर धारण किया हुआ है।

चन्द्रमा चराचर जगत की माता है, मन और भावनाओं पर अधिकार रखने वाला चंद्र साक्षात (माँ) भगवती पार्वती है और आत्मा और विवेक का कारक “सूर्य” ही (पिता) शिव हैं।

द्वितीया का चंद्र दर्शन सुख सौभाग्य कारक कहा गया है और मातेश्वरी और महादेव की कृपादृष्टि प्राप्त कराता है।

चंद्रमाकृत दोषों से पीड़ित होने पर भी द्वितीया के चंद्रमा का लगातार दर्शन लाभ दायक होता है।

चन्द्र दर्शन के समय चन्द्रमा के पौराणिक मंत्र पढ़ सकें तो और भी शुभ है।

श्वेताम्बरः श्वेतविभूषणश्च

श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहुः ।

चन्द्रोऽमृतात्मा वरदः

किरीटी मयि प्रसादं विदधातु देवः ।।

कच्चे दूध मिश्री और सफेद फूल से अर्घ देते हुए इस मंत्र का जाप करें।

आज राधा कृष्ण की विषय पूजा और श्रृंगार करें।

आज से होलिका दहन तक रोज शाम को चावल के आटे से चौक/रंगोली बनाकर उसको फूलों से सजाना चाहिए।

इसमें सूर्य चंद्रमा और तारों की आकृति बनाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!