वाराणसी में स्थित प्रमुख मंदिर एवं उनकी धार्मिक महत्ता
वाराणसी दर्शन – वाराणसी को वैसे मंदिरों का शहर कहा जाना चाहिए, काशी में आपको हर जगह मन्दिर ही मन्दिर मिलेंगे। आज हम जानते हैं वाराणसी में स्थित प्रमुख मंदिरोंएवं उनकी धार्मिक महत्ता के बारे मे–
- श्री काशी विश्वनाथ मंदिर – वाराणसी का ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है। ये भगवान शिव को समर्पित है और इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को देखने के लिए हर रोज लाखो लोग वाराणसी पहुंचते हैं।
- तुलसी मानस मन्दिर – काशी का ये प्रसिद्ध मंदिर भगवान राम को समर्पित है। कहा जाता है कि जहां ये मंदिर बना है उस जगह महान मध्यकालीन द्रष्टा गोस्वामी तुलसीदास रहते थे और यही पर उन्होंने “श्री रामचरितमानस” भी लिखी थी।
- संकटमोचन मन्दिर – काशी में हनुमान जी का ये मंदिर असी नदी धारा के निकट स्थित है। मंदिर की स्थापना गोस्वामी तुलसीदास द्वारा की गई थी। इस मंदिर को “बंदर” मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि बहुत सारे बंदर परिसर के अंदर हैं।
- मृत्युंजय महादेव मन्दिर – कालभैरव मंदिर के पास ही भगवान शिव का मंदिर मृत्युंजय स्थित है। इस मंदिर की कई मान्यता और महत्व है। मंदिर का पानी भूमिगत धाराओं का मिश्रण है। कहा जाता है कि इस मंदिर के पानी से शरीर के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- कालभैरव मन्दिर – ये काशी का भव्य और प्राचीन मंदिर है। जोकि विशेसरगंज में हेड पोस्ट ऑफिस के पास बना हुआ है। कहा जाता है कि भगवान कलभैरव “वाराणसी के कोतवाल” है और बिना उनकी अनुमति के कोई भी काशी में नहीं रह सकता है।
- दुर्गा मन्दिर – काशी का ये प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर 18वीं सदी में बनाया गया था। जहां मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस प्राचीन मंदिर में पत्थर कारीगरी का बहुत सुन्दर काम किया गया है, जो नागौर शिल्प का एक अच्छा उदाहरण है। बता दें कि इस मंदिर में मां दुर्गा कुष्मांडा स्वरूप में विद्यमान हैं।
- संकठा मन्दिर – ये मंदिर काशी के सिंधिया घाट के पास बना हुआ है। मंदिर के परिसर में शेर की एक विशाल प्रतिमा लगी हुई है। इस मंदिर की खास बात ये भी है कि यहां 9 ग्रहों के नौ मंदिर हैं।
- मां अन्नपूर्णा मन्दिर – मां अन्नपूर्णा का ये मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ही स्थित है. बता दें कि मां अन्नपूर्णा को “अन्न की देवी” माना जाता है। इस मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
- भारत माता मन्दिर – महात्मा गांधी ने 1936 में इस मंदिर का उद्घाटन किया और संगमरमर से भारत माता का मानचित्र यहां पर बनाया गया है। इस मौके पर राष्ट्रवादियों बाबू शिव प्रसाद गुप्ता (भारत रत्न) और श्री दुर्गा प्रसाद खत्री ने प्रमुख मुद्राशास्त्री और पुरातत्ववेत्ता को उपहार में दिया था।
- विश्वनाथ मन्दिर बी एच यू – महामना मालवीय जी स्थपित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित नया विश्वनाथ मन्दिर जो बिड़ला जी द्वारा निर्मित है। सभी जाति या पंथ के लिए खुला है।
- केदारेश्वर मन्दिर – बनारस में केदार घाट के पास केदारेश्वर मंदिर है। यह मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के कहर से बच गया था। इसी के समीप गौरी कुण्ड है। इसी को आदि मणिकार्णिका या मूल मणिकार्णिका कहा जाता है।
मणिकार्णिका घाट के समीप विष्णु चरणपादुका है। इसे मार्बल से चिन्हित किया गया है। इसे काशी का पवित्रतम स्थान कहा जाता है। अनुश्रुति है कि भगवान विष्णु ने यहां ध्यान लगाया था। इसी के समीप मणिकार्णिका कुण्ड है। माना जाता है कि भगवान शिव का मणि तथा देवी पार्वती का कर्णफूल इस कुण्ड में गिरा था। चक्रपुष्करर्णी एक चौकोर कुण्ड है। इसके चारो ओर लोहे की रेलिंग बनी हूई है। इसे विश्व को पहला कुण्ड माना जाता है।
यहां का काली भैरव मंदिर भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर गोदौलिया चौक से 2 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में टाउन हॉल के पास स्थित है। इसमें भगवान शिव की रौद्र मूर्त्ति स्थापित है। इसी के नजदीक बिंदू माधव जी का मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। - लोलार्क कुंड – लोलार्क कुण्ड उत्तर प्रदेश के प्राचीन नगर बनारस में तुलसीघाट के निकट स्थित एक कुण्ड है। मान्यता अनुसार यह अति प्राचीन है तथा इस कुण्ड का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। कालान्तर में इन्दौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस कुण्ड के चारों तरफ कीमती पत्थर से सजावट करवाई थी। इसी के समीप लोलाकेश्वर का मंदिर है। भादो महीने (अगस्त-सितम्बर) में यहां लक्खा मेला लगता है और तब काशी के इस लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। अस्सी के भैदानी स्थित प्रसिद्ध लोलार्क कुंड पर हर साल लाखों श्रद्धालुओं का मेला लगता है। लक्खा मेले में लोलार्क पष्ठी या सूर्य षष्ठी स्नान की बड़ी मान्याता है, और कहते हैं कि महादेव लोलार्केश्वर संतान प्राप्ति की कामना वाले दंपतियों की मनोकामना पूरी कर देते हैं। लोलार्क कुंड में स्नान करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की यहां भीड़ जुटती है।
- विशालाक्षी मन्दिर – काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर काशी विशालाक्षी मंदिर है। यह पवित्र 51 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां शिव की पत्नी सती का कर्ण कुण्डल की मणि गिरा था। जिसके कारण इसका एक नाम मणिकर्णी शक्ति पीठ भी कहा जाता है।
- साक्षी गणेश मन्दिर – साक्षी गणेश मंदिर, वाराणसी में स्थित है। पंचकरोशी यात्रा को पूरा कर तीर्थयात्री साक्षी गणेश मंदिर को देखने जरुर आते हैं। इस मंदिर के दर्शन के बाद ही वे अपनी यात्रा को पूर्ण मानते हैं।
वाराणसी में और भी मन्दिर है लेकीन यह कुछ प्रमुख मंदिर है जिन्हे वाराणसी आने वाले दर्शनार्थी को जरूर देखने चाहिए।