Tranding
Thursday, November 21, 2024
मुरुदेश्वर मंदिर(राजा गोपुरम), कर्नाटक
तीर्थ , देवालय / April 15, 2023

मुरुदेश्वर महादेव मंदिर : रामायण काल से जुड़ा हुआ है जिसका इतिहास

मुरुदेश्वर महादेव मंदिर(राजा गोपुरम)@sanatanyatra: मुरुदेश्वर महादेव मंदिर जिसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है, खासकर रावण से। यह मंदिर कर्नाटक में कन्नड़ जिले के भटकल तहसील में स्थित है, जो तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। समुद्र तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर के आसपास का नजारा बेहद ही खूबसूरत लगता है।
इस मंदिर का नाम है मुरुदेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। ‘मुरुदेश्वर’ भगवान शिव का ही एक नाम है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसके परिसर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे दुनिया की दूसरी सबसे विशाल और ऊंची शिव प्रतिमा (मूर्ति) माना जाता है।
भगवान शिव की इस विशाल मूर्ति की ऊंचाई करीब 123 फीट है। इसे इस तरीके से बनाया गया है कि दिनभर सूर्य की किरणें इसपर पड़ती रहती हैं, जिसकी वजह से मूर्ति हमेशा चमकती रहती है। इस खास मंदिर को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

मुरुदेश्वर महादेव मंदिर(राजा गोपुरम)


मुरुदेश्वर मंदिर में भगवान शिव का आत्मलिंग भी स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण जब अमरता का वरदान पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने उसकी तपस्या से खुश होकर उसे एक शिवलिंग दिया, जिसे ‘आत्मलिंग’ कहा जाता है और कहा कि अगर तुम अमर होना चाहते हो तो इसे लंका ले जाकर स्थापित कर देना, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि इसे जिस जगह पर रख दोगे, ये वहीं स्थापित हो जाएगा।
भगवान शिव के कहेनुसार रावण शिवलिंग को लेकर लंका की ओर जा रहा था, लेकिन बीच रास्ते में ही उसने शिवलिंग को धरती पर रख दिया, जिससे वो वहीं पर स्थापित हो गया। इससे रावण को क्रोध आ गया और उसने शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया। इसी क्रम में जिस वस्त्र से शिवलिंग ढंका हुआ था, वह म्रिदेश्वर के कन्दुका पर्वत पर जा गिरा। म्रिदेश्वर को ही अब मुरुदेश्वर के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण में इस कथा का विस्तार से वर्णन मिलता है।

सबसे बड़ा गोपुरम :राजा गोपुरा या राज गोपुरम विश्व में सब से ऊँचा गोपुरा माना जाता है। यह 249 फीट ऊँचा है।गोपुरम के प्रवेश द्वार पर दो आदमकद पत्थर के हाथी खड़े हैं। मुरुदेश्वर मंदिर के बाहर बनी शिव भगवान की मूर्ति विश्व की दूसरी सबसे ऊँची शिव मूर्ति है और इसकी ऊँचाई 123 फीट है। अरब सागर में बहुत दूर से इसे देखा जा सकता है।

मुरुदेश्वर कैसे पहुंचे
मुरुदेश्वर कर्नाटक राज्य में स्थित है और गोकर्ण से केवल 54 किलोमीटर दूर है। यह कर्नाटक और देश के बाकी हिस्सों से सड़क और रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। 

हवाई जहाज से
मैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां से लगभग 153 किलोमीटर दूर है। यह देश के सभी प्रमुख शहरों और विदेशों में कुछ गंतव्यों से भी जुड़ा हुआ है। मुरुदेश्वर पहुंचने के लिए हवाई अड्डे से टैक्सी उपलब्ध हैं।

ट्रेन से
मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन मैंगलोर और मुंबई से जुड़ा है। मैंगलोर प्रमुख रेलहैड है और यह भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन शहर से 2 किलोमीटर पूर्व में है और यहां बसों और ऑटो-रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है।

सड़क द्वारा
निजी और राज्य द्वारा संचालित बसें मुरुदेश्वर को मुंबई, कोच्चि और बेंगलुरु से जोड़ती हैं। यह एन.ए.17 पर स्थित है जो मुंबई को कोच्चि से जोड़ता है। बसें दोनों शहरों के बीच नियमित रूप से चलती हैं और मैंगलोर से गुजरती हैं। बेंगलुरु इस क्षेत्र के कई अन्य महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!