Tranding
Sunday, November 10, 2024
बिजली महादेव : जहां खंड खंड होकर फिर जुड़ जाता हैं शिवलिंग
तीर्थ , देवालय / April 13, 2023

बिजली महादेव : जहां खंड खंड होकर फिर जुड़ जाता हैं शिवलिंग

बिजली (थंडर महादेव मंदिर) महादेव मंदिर @sanatanyatra:हिमाचल की कुल्लू घाटी के कशावरी गांव में पहाड़ी की चोटी पर बिजली महादेव मंदिर स्थित है। लगभग 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बिजली महादेव भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है।

बिजली महादेव में लकड़ी के कर्मचारी :बिजली के इस मंदिर में कहा जाता है कि लंबा डंडा बिजली के रूप में दिव्य आशीर्वाद को आकर्षित करता है। बिजली महादेव मंदिर धूप में लकड़ी के कर्मचारी चांदी की सुई की तरह चमकता है।

बिजली महादेव में लकड़ी के कर्मचारी

एक ऐसा मंदिर जहा सिर्फ शिवलिंग पर गिरती है बिजली और खंड खंड हो जाता है लिंग। इस मंदिर पर हर बारह साल में ठीक शिवलिंग के ऊपर गिरती है बिजली।हैरानी की बात तो यह है की ना ही मंदिर को, न ही किसी भी और वस्तु को कोई भी हानि पहुँचती है। यह सिलसिला युगों से चला आ रहा है। आइये पहले जानते हैं क्यों

बिजली महादेव की पौराणिक कथा

जब जब संसार पर संकट आया, भोले नाथ ने वह अपने ऊपर ले लिया। पुराणों के अनुसार, वशिष्ठ मुनि ने शंकर जी से विनती की। हे प्रभु, संसार को बिजली गिरने से होने वाले प्रकोप से बचाइए। वज्रपात न सिर्फ मनुष्यों को, परन्तु सभी जीव जंतु को हानि पहुंचता है. कृपया कोई समाधान करें। तब शिवजी ने इंद्र देव से इसका समाधान पुछा। शिवजी के पूछने पर इंद्रदेव ने कहा प्रभु, मेघो के बीच उत्पन्न होने वाली शक्ति का निकास आवश्यक है।

प्राकृतिक है, इसको रोका नहीं जा सकता। तो शंकर जी ने इंद्र से कहा यदि ऐसा है, तो हिमालय के पहाड़ों पर भुंतर नामक गांव के एक पहाड़ की चोटी पर मैं लिंग के रूप में स्थित हूँ। आप वज्रपात केवल उस लिंग पर करें।

तब से हर बारह साल बाद शिवलिंग पर और हर दूसरे साल मंदिर के ध्वज पर बिजली गिरती है। अचरज की बात तो यह है, की वह लिंग टूटकर चूर चूर हो जाता है। , और फिर स्वयं जुड़ जाता है। र तो और, बिजली सिर्फ शिवलिंग या ध्वज को ही क्षति पहुंचाती है। मंदिर के अन्य किसी भी भाग या पूरे पर्वत पर कही भी कोई भी हानि नहीं होती। जब लिंग पर बिजली गिरती है तो वह खंड खंड हो जाता है।

मंदिर के पुजारी लिंग के टुकड़े ढूंढ़कर लाते हैं। और मक्खन से उसे जोड़ते हैं। मक्खन मरहम के लिए लगाया जाता है, जो की सिर्फ गायों के पहले दूध से बनाया जाता है। कुछ समय बाद, शिवलिंग ठीक पहले जैसा हो जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!