Tranding
Saturday, November 23, 2024
लाखामंडल ,#लाखामंडल ,लाखामंडल शिव मंदिर देहरादून, लाखामंडल महामुंडेश्वर मंदिर, महामुंडेश्वर मंदिर, उत्तराखंड,लाखमंडल का इतिहास महाभारत कालीन,
देवालय / April 8, 2023

लाखामंडल एक ऐसा रहस्यमयी शिव मंदिर जहां मुर्दे भी हो जाते हैं जीवित

लाखामंडल शिव मंदिर देहरादून, उत्तराखंड :देहरादून से 128 कि०मी० दूर, जौनसागर बावर क्षेत्र में यमुना व रिखनाड नदी के संगम पर प्रकृति की वादियों में बसा,समुद्र तल से 1372 मी०ऊंचाई पर स्थित लाखामंडल महामुंडेश्वर शिवलिंगनाम से विदित एक ऐसा रहस्यमयी प्राचीन शिव मंदिर जहां मुर्दे भी हो जाते हैं।

विधि का विधान है की जो व्यक्ति धरती पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है। व्यक्ति की मृत्यु होने के तत्काल बाद ही उसकी आत्मा मनुष्य का शरिर छोड़ देती है और एक बार आत्मा छोड़ने के बाद वह उस शरिर में पुनः कभी प्रवेश नहीं करती। वह दूसरी योनी या दूसरे शरिर में ही प्रवेश करती है। इसलिए हमेशा कहा जाता है की जो चला गया वो वापस लौटकर नहीं आ सकता। लेकिन जन्म और मृत्यु तो ईश्वर का खेल है और ईश्वर की मर्जि व उनके चमत्कार के आगे कुछ भी नहीं हैं। अगर भगवान चाहे तो उनके आगे सृष्टि के नियमों में भी बदलाव हो जाता है।

जन्म-मृत्यु से जुड़ी एक चौंकाने वाली बात करें की इस दुनिया में मृत व्यक्ति भी जीवित हो सकता है, शायद आप इस बात पर यकिन ना कर पाएं। लेकिन आज आपको भोलेनाथ के एक चमत्कारी मंदिर के बारे में बताते हैं जहां अगर शव को लेकर जाया जाए तो आत्मा उस शव में पुन: प्रवेश कर जाती है। जी हां इस बात पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल हैं लेकिन यह सत्य है…

लाखमंडल का इतिहास महाभारत कालीन है, यहां पांडव गुफा भी है । मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में यहां पांडवों को जलाकर मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह बनाया था। लाखामंडल नामक स्थान वह स्थान है जहाँ पर पांडवो को लाखामहल बनवा कर कौरवों ने आग लगा कर मारने की कोशिश की थी और बह एक सुरंग से बाहर निकल कर चले गए थे इसी के कारण इस स्थान का नाम लाखामंडल पडा यहा से निकल कर पांडवो ने जो मंदिर बनाया था लाखामंडल महामुंडेश्वर बही मंदिर है अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठर ने शिवलिंग की स्‍थापना इसी स्‍थान पर की थी। जो मंदिर में आज भी मौजूद है। लाखामंडल शिव मंदिर में मौजूद शिवलिंग को #महामुंडेश्वर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के प्रांगण में मौजूद इस शिवलिंग के सामने दो द्वारपाल पश्चिम की ओर मुंह करके खड़े हैं।

माना जाता है कि कोई भी मृत्यु को प्राप्त किया हुआ इंसान इन द्वारपालों के सामने रख दिया जाता था तो पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह जीवित हो जाता था। इस प्रकार मृत व्यक्ति यहां लाया जाता था और कुछ पलों के फिर से ‌जिंदा हो जाता था। जीवित होने के बाद उक्त व्यक्ति शिव नाम लेता है व गंगाजल ग्रहण करता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। मंदिर की पिछली दिशा में दो द्वारपाल पहरेदार के रूप में खड़े नजर आते हैं, दो द्वारपालों में से एक का हाथ कटा हुआ है जो एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।

मंदिर को लेकर कई अन्य मान्यताएं है लाखामंडल में बने इस शिवलिंग की एक अन्य खासियत यह है कि जब भी कोई व्यक्ति इस शिवलिंग का जलाभिषेक करता है तो उसे इसमें अपने चेहरे की आकृति स्पष्ट नजर आती है।
मान्यता है कि इस शिवलिंग पर जिसका चेहरा प्रतिबिंबित हो जाता है वो धन्य हो जाता है ।। वह पाप और दुर्भाग्य से मुक्त हो जाता है I

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारी टीम

संस्थापक-सम्पादक : विशाल गुप्ता
प्रबन्ध सम्पादक : अनुवन्दना माहेश्वरी
सलाहकार सम्पादक : गजेन्द्र त्रिपाठी
ज्वाइंट एडिटर : आलोक शंखधर
RNI Title Code : UPBIL05206

error: Content is protected !!